Madhya Predesh News: धनतेरस के दिन बड़ा कार्यक्रम करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों साढ़े चार लाख गरीबों को पीएम आवास दिलाने वाली मध्य प्रदेश की सरकार प्रधानमंत्री आवास घोटाले में उलझ गई है. जहां कई मृतकों के नाम पर घर स्वीकृत हो गए तो कई गरीबों को मकान नहीं मिला लेकिन पैसे उनके खाते में आए और चले गए. यह भी पता लगा है कि भ्रष्ट सिस्टम कैसे सरकारी योजनाओं के कुएं पी गया, शौचालय चट कर गया. सुनने में आपको यह अजीब लगा ना लेकिन जिनके साथ ये हुआ उन पर क्या गुजर रही होगी, इसका अंदाज सहज ही लगाया जा सकता है...और उनकी हिमाकत जो प्रधानमंत्री का नाम जुड़ने के बाद भी घोटाला करने से नहीं चूके. धनतेरस को आयोजित इस कार्यक्रम में
4.5 लाख सपने कितने सुंदर होंगे, ये जानने NDTV सतना पहुंचा. जिले में 600 से ज्यादा गांव हैं. इस बारे में बातचीत की शुरुआत रहिकवारा गांव की की. यहां घरों के बड़े-बड़े पोस्टर लगे थे. गांव की सुंदी बाई ने प्रधानमंत्री आवास को लेकर बोलीं, "मैं हाथ जोड़ती हूं बेटा. इस एक घर में थोड़ा अंधेरा है. उज्जवला की हकीकत दिखा दूंगी. पति गुजर गए. पैसा निकाला बेटा तो घर बना ले, नहीं मिला राशन. डोकरा मर गया,रसोई गैस मिली है. बेटा..मांगती खाती हूं.अपना पैसा दिलवा दें तो घर बना लें." सुंदी बाई से बात करने के बाद आगे की गली में शिवकुमार चौधरी से मिले. वे दिव्यांग हैं. गांव के दूसरे छोर पर मुन्नीबाई गुप्ता रहती हैं. इनके पति भी गुजर गए. झोंपड़ा गिर गया, बेटे के पास पक्का मकान है .इन्हें सिर्फ सरकारी कागज में स्वीकृति मिली, ना मकान मिला और न ही पैसा. मुन्नी बाई कहती हैं, " मुझे कुछ भी नहीं मिला. मैं क्या बता सकती हूं, कुछ नहीं बना मेरा."
रहिकवारा बड़ा गांव है, हजारों की आबादी है. जहां से गुजरे लोगों ने उम्मीद के साथ हमें रोका और खुद दस्तावेज दिखाए. इसमें कोई दिव्यांग था, किसी के पति की मौत हो गई, कोई देख नहीं सकता था.सबने प्रधानमंत्री आवास की 'संपूर्णता' की ढेरों कहानियां सुनाई. जरा सोचिये जिस योजना के हर चरण की मॉनिटरिंग होती है, जिसमें प्रधानमंत्री का नाम जुड़ा है जिस जिले में उन्होंने उद्धघाटन किया वो भी भ्रष्टाचार से अछूती नहीं रही. रहिकवारा में हर शख्स इस भ्रष्टाचार की कहानी सुनाता है. कोई शौचालय, कोई घर तो कोई राशन का सताया है. मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने जांच कर पूर्व सरपंच बलवेन्द्र सिंह, जो सतना बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह के भाई हैं और 2 छोटे अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. हालांकि गांववाले कहते हैं कि सालों से ये खेल चल रहा था लेकिन राजनीतिक रसूख में सब चुप थे. एक ग्रामीण शैलेन्द्र कुमार त्रिपाठी कहते हैं, " उनके जो भाई हैं वो बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष हैं. उनके कॉन्टेक्ट हैं यहां से लेकर दिल्ली तक तो सब चुप रह गए.
सवालों के जवाब लेने जब हम कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, लेकिन कलेक्टर साहब मीटिंग में व्यस्त होने की बात कहने लगे. वैसे स्थानीय मीडिया को 7 सेकेंड का स्पष्टीकरण उन्होंने दिया था जिसमें कहा गया है, "रहिकवारा का मामला आया था.उसमें जांच कर रहे हैं जो जिम्मेदार होगा कार्रवाई होगी. ग्रामीण विकास मंत्री मिले नहीं, वैसे सरकारी वेबसाइट कहती है: "नवीनतम आईटी उपकरणों और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके घर की स्वीकृति और पूर्णता की सूक्ष्म निगरानी. मंत्री/सचिव/अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव द्वारा नियमित समीक्षा." तो क्या ये 3 लोग मिलकर फिलहाल 75 घर हड़प गया, क्या मंत्रीजी, बड़े बाबुओं और बैंक कर्मचारी की भूमिका तय होगी और क्या जिला प्रशासन, सरकार सवालों का जवाब देने की हिम्मत जुटा पाएगा.
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