विज्ञापन
This Article is From Jun 04, 2021

मध्य प्रदेश: कोरोना काल में स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत करने के बजाय प्राइवेट अस्पतालों के खाते भरे गए

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं किस तरह से चरमराई हुई हैं यह किसी से छिपा नहीं है. राज्य में जिस तरह से सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापम घोटाले के आरोपियों के अस्पतालों के हवाले कर दिया है.

कोविड काल में प्राइवेट अस्पतालों पर ज्यादा मेहरबान दिखी शिवराज सरकार (फाइल फोटो)

भोपाल:

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं किस तरह से चरमराई हुई हैं यह किसी से छिपा नहीं है. राज्य में जिस तरह से सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापम घोटाले के आरोपियों के अस्पतालों के हवाले कर दिया है, उसने स्वास्थ्य ढांचे के कमजोर चेहरे को एक बार फिर से उजागर कर दिया है. भोपाल का चिरायु अस्पताल व्यापम घोटाले के तहत आरोपों के घेरे में है, लेकिन आज की तारीख में इस अस्पताल पर ज्यादा भरोसा दिखाया जाता है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तो भावुक होते हुए अस्पताल के निदेशक डॉ अजय गोयनका की मूर्ति बनाने की बात तक कही है. इतना ही नहीं इसी अस्पताल में जुलाई में कोविड संक्रमित होकर मुख्यमंत्री भर्ती हुए, वहीं से कामकाज संभाला और अगस्त में डिस्चार्ज भी हुए. 

जून 2020 में अस्पताल ने एक साथ एक हजार मरीजों के डिस्चार्ज होने का दावा किया था. जबकि 1 जून तक अस्पताल के खुद के आंकड़े 976 मरीजों पर थे. खुद उस दिन राज्य सरकार के बुलेटिन ने 963 मरीजों के डिस्चार्ज होने की बात कही थी. जिसमें 125 एम्स से, 54 हमीदिया बाकी दूसरे अस्पतालों से थे. लगभग 1100 बिस्तरों के साथ भोपाल में सबसे ज्यादा मरीजों के इलाज का दावा करने वाले चिरायु अस्पताल में पिछले एक साल में मुख्यमंत्री के अलावा राज्य के स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष नौकरशाहों, मंत्रियों और कई वीआईपी रोगियों का इलाज किया गया. 

राज्य सरकार ने कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान दर्जनों अस्पतालों के साथ करार किया, जिसमें व्यापम आरोपियों के अस्पताल भी शामिल थे और 32,000 से अधिक कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए 167 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. दूसरी लहर में भी राज्य ने इन अस्पतालों से करार किया और करोड़ों का भुगतान किया गया. व्यापम घोटाले के व्हिसलब्लोअर डॉ आनंद राय का दावा है कि प्रति मेडिकल कॉलेज 70-80 करोड़ का भुगतान हुआ और दूसरी लहर में भी करोड़ों का भुगतान होगा. उनका कहना है कि म्यूकरोमाइकोसिस के लिये भी भुगतान करेंगे, वो कॉलेज जिनके मालिक व्यापम में जमानत पर हैं, ऐसे लोगों पर पूरा दारोमदार सौंप दिया, ये जो 700-800 करोड़ खर्च हुए इससे पीजी इंस्टीट्यूट खोल सकते हैं. 

भोपाल, इंदौर और देवास में 6 अस्पताल व्यापम घोटाले के आरोपी चला रहे हैं, जिनके पास लगभग 4250 बिस्तर है. इन 6 कॉलेजों में से तीन भोपाल में, दो इंदौर में और एक देवास जिले में है. भोपाल में एलएन, पीपुल्स और चिरायु मेडिकल कॉलेज में कुल 2,100 बेड की क्षमता है. इंदौर के अरबिंदो और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के पास 1,400 मरीजों के इलाज की क्षमता है. जबकि देवास के अमलतास आयुर्विज्ञान संस्थान में कोविड मरीजों के लिये 750 बिस्तर हैं. करोड़ों रुपये के व्यापम घोटाले में एक तरफ राज्य सरकार ने इन अस्पतालों के निदेशकों पर मेडिकल जांच में धांधली का आरोप लगाया है. तो वहीं दूसरी ओर, राज्य ने उनके अस्पतालों को अपने अधीन ले लिया और उन्हें मोटी रकम का भुगतान किया है. 

चिरायु अस्पताल के निदेशक डॉ. अजय गोयनका हाईकोर्ट से जमानत पर बाहर हैं, अब कोविड योद्धा हैं. व्यापम मामले में जे एन चौकसे और सुरेश विजयवर्गीय भी महीनों जेल में बिता चुके हैं और जमानत पर बाहर हैं. विनोद भंडारी सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर हैं. दो अस्पतालों के मालिक सुरेश भदौरिया भी व्यापम में जमानत पर बाहर हैं. राज्य में हजारों अस्पताल होने के बावजूद, खुद सरकारी फाइलों में इन अस्पतालों का जिक्र होता रहा. जबकि सितंबर 2020 में खुद अधिकारियों ने अपने प्रेजेंटेशन में माना कि अकेले इंदौर के अरबिंदो मेडिकल कॉलेज में 21 ज़िलों के और चिरायु अस्पताल में 19 ज़िलों के मरीज भर्ती हो रहे हैं. ये भी कहा गया कि सरकारी व्यवस्थाओं को मज़बूत किये जाने की ज़रूरत है. 

जन स्वास्थ्य अभियान से जुड़े अमूल्य निधि का कहना है कि सरकार को निजी अस्पताल मजबूत करने के बजाए सरकारी अस्पताल को मजबूत करना चाहिए. उन्होंने बताया कि इनके साथ MoU किया गया है. बकौल अमूल्य निधि, सरकार इन अस्पतालों की ब्रांडिग कर रही है. करोड़ों का भुगतान हो चुका है, सरकार जिला अस्पतालों का मजबूत कर सकती थी उनमें रिसर्च, इंफ्रास्ट्रक्टर डेवलेप करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि टेंडर प्रोसेस न करके इन अस्पतालों में मंत्रियों और अधिकारियों एडमिट होकर इन अस्पतालों का प्रचार किया. 

बावजूद इसके सरकार कहती है किसी को अलग नहीं किया जा सकता है. राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि ना किसी वर्ग को अलग कर सकते हैं, इस महामारी में ये जरूरी है कि हेल्थ वर्कर्स पूरे उत्साह के साथ काम करें जनता की सेवा करें, जो कोरोना में काम में लगा है मरीजों को बचाने का काम किया है. शिवराज सरकार ने 7 मई को सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को आदेश दिया कि वो मुख्यमंत्री कोविड आष्युमान योजना के तहत गरीब मरीजों का 5 लाख तक का मुफ्त इलाज करें लेकिन इसके उलट कई ऐसे वीडियो सामने आए जहां मरीजों को दुत्कारा जा रहा था, इसमें भोपाल का चिरायु अस्पताल भी शामिल है. 

योजना में अकेले भोपाल में 4153 बेड कोविड मरीजों के लिये रिजर्व किये गए हैं. जिसमें 3299 सरकारी और 854 निजी अस्पतालों के बेड थे. 21 मई को प्राइवेट अस्पतालों में ऐसे 147 तो सरकारी में 486 मरीज थे. लेकिन जादू देखिये 25 मई को प्राइवेट अस्पतालों में 531 और सरकारी अस्पतालों में इनकी 181 हो गई. इसका खुलासा खुद आष्युमान योजना से इलाज कराने वाले मरीजों की रिपोर्ट से हुआ है. 

भारत में पहला कोविड केस 30 जनवरी को मिला था. फरवरी के पहले सप्ताह में नीति आयोग ने PPP मोड में सभी जिला अस्पतालों को प्राइवेट पार्टियों को सौंपने का प्रस्ताव सभी राज्यों को भेजा था. यानी महामारी की आहट पर भी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने फरवरी में कुछ एडवाइजरी जारी की लेकिन महामारी की तैयारी के लिए कोई जल्दबाजी नहीं थी, डेढ़ साल बीत चुके हैं लेकिन अभी भी हालात वही हैं. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com