इस समय मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजनीति पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं. हाल ही में वहां सत्ताधारी कांग्रेस (Congress) के कुछ विधायक जब अचानक गुरुग्राम पहुंचा दिए गए तो एकाएक सियासी भूचाल आ गया. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी विधायकों की खरीद-फरोख्त कर कमलनाथ सरकार गिराना चाहती है. उस समय तो कुछ विधायक लौट आए लेकिन जब कांग्रेस के पुराने साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने अचानक बीजेपी का दामन थामा तो कमलनाथ सरकार पर असल में संकट के बादल मंडराने लगे. बीजेपी की राज्य इकाई के नेता दावा करने लगे कि मौजूदा राज्य सरकार अल्पमत में है, लिहाजा बहुमत परीक्षण कराया जाए. सूबे के मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) ने बीते शुक्रवार राज्यपाल लालजी टंडन (Lalji Tandon) से मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट कराए जाने को लेकर राज्यपाल से मिले थे. अब राज्यपाल ने स्पीकर से कहा है कि सदन में सोमवार को बहुमत परीक्षण कराया जाए.
राज्यपाल लालजी टंडन ने बहुमत परीक्षण के निर्देश जारी किए हैं. इसमें कहा गया है, 'मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 16 मार्च, 2020 को प्रातः 11 बजे प्रारंभ होगा और मेरे अभिभाषण के तत्काल बाद एकमात्र कार्य विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा. विश्वासमत मत विभाजन के आधार पर बटन दबाकर ही होगा और अन्य किसी तरीके से नहीं किया जाएगा.'
Madhya Pradesh Governor Lalji Tandon: Floor test in #MadhyaPradesh Assembly to be held on March 16. pic.twitter.com/OFDsnLkSt8
— ANI (@ANI) March 14, 2020
बताते चलें कि मध्य प्रदेश के 22 विधायकों ने अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, इनमें से 19 विधायक बेंगलुरु में हैं. दूसरी ओर CM कमलनाथ ने राज्यपाल को एक पत्र देकर बीजेपी पर आरोप लगाया है कि बीजेपी उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है. साथ ही मांग की थी कि इसी बजट सत्र में उनकी सरकार का शक्ति परीक्षण किया जाए. वहीं राज्य सरकार ने बेंगलुरु गए 6 मंत्रियों को बर्खास्त करने की राज्यपाल से सिफारिश भी की थी.
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गौरतलब है कि मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने शनिवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन करने वाले 6 पूर्व मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं. इन मंत्रियों ने 10 मार्च को इस्तीफे दिए थे. अध्यक्ष ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न तोमर, तुलसीराम सिलावट और इमरती देवी के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं.
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बताते चलें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का दावा है कि 22 विधायक उनके साथ हैं. फिलहाल सत्तासीन कांग्रेस के कांग्रेस के 114 में से 22 विधायकों ने इस्तीफे दे दिए हैं और अगर इन्हें स्वीकार कर लिया गया, तो कमलनाथ सरकार का गिर जाना तय है, क्योंकि उस स्थिति में 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा की प्रभावी सदस्य संख्या 206 रह जाएगी (दो सदस्यों के देहावसान के चलते इस वक्त यह संख्या 228 है) और बहुमत के लिए आवश्यक संख्या 104 रह जाएगी. इस्तीफों के मंजूर हो जाने पर कांग्रेस की सदस्य संख्या 92 रह जाएगी, और BJP के पास 107 सदस्य हैं.
VIDEO: CM कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन से की मुलाकात
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