प्रतीकात्मक फोटो.
भोपाल:
हम अपने खिलाड़ियों से हर आयोजन में 'सोने' की उम्मीद करते हैं, लेकिन सुविधाएं देने के नाम पर सरकारी तिजोरी खुलती नहीं. ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के दमोह में सामने आया है, जहां राज्य की हॉकी टीम में चयन के लिए ट्रायल देने आई खिलाड़ियों को 5 रुपये की थाली से पेट भरना पड़ा.
कॉमनवेल्थ खेलों में भारत के खिलाड़ी मेडल जीत रहे हैं, देश गर्व कर रहा है लेकिन सोने के मेडल की चमक के पीछे एक स्याह हकीकत मध्यप्रदेश के दमोह के JPB गर्ल्स स्कूल के मैदान में 42 बच्चियां ने दिखाई. इनमें से 18 राष्ट्रीय खेलों में मध्यप्रदेश की हॉकी टीम की नुमाइंदगी करेंगी. इन खिलाड़ियों के रहने के लिए गर्ल्स स्कूल के हॉस्टल में इंतजाम कर दिया गया लेकिन खाने के लिए इनके कोच को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए दीनदयाल रसोई से मिलने वाली 5 रुपये प्रति थाली की पर्ची कटवानी पड़ी. पीने के पानी के लिए मैदान में एक टैंकर रखवा दिया गया. 42 बच्चे अपनी बारी का इंतजार करते रहे, फिर खाना मिला.
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मजबूरी इनके कोच की भी थी क्योंकि ट्रायल में खिलाड़ियों के भोजन का कोई बजट नहीं होता. जबलपुर से आए इनके मैनेजर फज़ल फारूखी ने बताया जो ट्रायल होता है तो बच्चों को खुद से खाना होता है, जब कैंप लगता है तब इंतजाम करते हैं. कोच बाचन यादव ने भी लगभग यही बात दुहराते हुए कहा हर जगह का नियम है खुद से करनी होती है व्यवस्था.
दस साल पहले राज्य सरकार ने ट्रायल में खिलाड़ियों के खाने-पीने के लिए बजट का प्रावधान बंद कर दिया. बीजेपी को लगता है 5 रुपये की थाली में पोषण गुणवत्ता की कमी नहीं होती, कांग्रेस इसे खिलाड़ियों का अपमान मानती है.
बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा 5 रुपये की थाली में पौष्टिकता-गुणवत्ता में कमी नहीं होती है, लेकिन एक बात ज़रूर है अगर यहां खाने में खिलाड़ियों का वक्त बर्बाद होता है, तो इस मामले में प्रशासन को संज्ञान लेना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता दीप्ति सिंह ने कहा मुख्यमंत्री निवास में 3000 रुपये की थाली मिल सकती है लेकिन जो बेटियां नाम रोशन करेंगी उन्हें 5 रुपये की थाली खिलाई जा रही है. ये खिलाड़ियों का अपमान है.
VIDEO : गौमूत्र खरीदेगी सरकार
ये हालात तब हैं जब मध्यप्रदेश की बेटियां हॉकी में राष्ट्रीय स्तर पर 2015, 2016 में मेडल जीत चुकी हैं. बीजेपी को लगता है कि 5 रुपये की थाली में पोषण-गुणवत्ता बरकरार रहती है, सुझाव अच्छा है फिर क्यों न इसे मुख्यमंत्री आवास के आयोजनों में आजमाया जाए. जो मुख्यमंत्री राज्य में लड़कियों को भांजी कहते हैं, बड़ी-बड़ी प्रतियोगिताओं में मेडल लाने पर उन्हें लाखों रुपये का इनाम देते हैं,क्या ये माना जाए कि उनके राज में सिर्फ उगते सूरज को सलामी मिलेगी.
कॉमनवेल्थ खेलों में भारत के खिलाड़ी मेडल जीत रहे हैं, देश गर्व कर रहा है लेकिन सोने के मेडल की चमक के पीछे एक स्याह हकीकत मध्यप्रदेश के दमोह के JPB गर्ल्स स्कूल के मैदान में 42 बच्चियां ने दिखाई. इनमें से 18 राष्ट्रीय खेलों में मध्यप्रदेश की हॉकी टीम की नुमाइंदगी करेंगी. इन खिलाड़ियों के रहने के लिए गर्ल्स स्कूल के हॉस्टल में इंतजाम कर दिया गया लेकिन खाने के लिए इनके कोच को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए दीनदयाल रसोई से मिलने वाली 5 रुपये प्रति थाली की पर्ची कटवानी पड़ी. पीने के पानी के लिए मैदान में एक टैंकर रखवा दिया गया. 42 बच्चे अपनी बारी का इंतजार करते रहे, फिर खाना मिला.
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मजबूरी इनके कोच की भी थी क्योंकि ट्रायल में खिलाड़ियों के भोजन का कोई बजट नहीं होता. जबलपुर से आए इनके मैनेजर फज़ल फारूखी ने बताया जो ट्रायल होता है तो बच्चों को खुद से खाना होता है, जब कैंप लगता है तब इंतजाम करते हैं. कोच बाचन यादव ने भी लगभग यही बात दुहराते हुए कहा हर जगह का नियम है खुद से करनी होती है व्यवस्था.
दस साल पहले राज्य सरकार ने ट्रायल में खिलाड़ियों के खाने-पीने के लिए बजट का प्रावधान बंद कर दिया. बीजेपी को लगता है 5 रुपये की थाली में पोषण गुणवत्ता की कमी नहीं होती, कांग्रेस इसे खिलाड़ियों का अपमान मानती है.
बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा 5 रुपये की थाली में पौष्टिकता-गुणवत्ता में कमी नहीं होती है, लेकिन एक बात ज़रूर है अगर यहां खाने में खिलाड़ियों का वक्त बर्बाद होता है, तो इस मामले में प्रशासन को संज्ञान लेना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता दीप्ति सिंह ने कहा मुख्यमंत्री निवास में 3000 रुपये की थाली मिल सकती है लेकिन जो बेटियां नाम रोशन करेंगी उन्हें 5 रुपये की थाली खिलाई जा रही है. ये खिलाड़ियों का अपमान है.
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ये हालात तब हैं जब मध्यप्रदेश की बेटियां हॉकी में राष्ट्रीय स्तर पर 2015, 2016 में मेडल जीत चुकी हैं. बीजेपी को लगता है कि 5 रुपये की थाली में पोषण-गुणवत्ता बरकरार रहती है, सुझाव अच्छा है फिर क्यों न इसे मुख्यमंत्री आवास के आयोजनों में आजमाया जाए. जो मुख्यमंत्री राज्य में लड़कियों को भांजी कहते हैं, बड़ी-बड़ी प्रतियोगिताओं में मेडल लाने पर उन्हें लाखों रुपये का इनाम देते हैं,क्या ये माना जाए कि उनके राज में सिर्फ उगते सूरज को सलामी मिलेगी.
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