
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में एक किसान ने आत्महत्या कर ली. मेघासिवनी गांव के रहने वाले अकड़ू उइके का शव उनके खेत के करीब फूस के छज्जे से लटकता हुआ मिला. छिंदवाड़ा राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ का चुनावी क्षेत्र है.
मृतक के परिजनों के मुताबिक चार साल से खेत में फसल खराब हो रही थी. बिटिया की शादी के लिए 9000 रुपये का कर्ज़ भारी पड़ा तो 55 साल के अकडू उइके ने फांसी का फंदा गले में डाल लिया. मृतक की पत्नी सकलवती ने बताया 'वे मजदूरी करते थे क्योंकि चार साल से खेत में कुछ नहीं पका. बेटी की शादी में 9000 रुपये का कर्जा है. मैंने कहा लड़का है दे देगा.'
वैसे पुलिस की थ्योरी अलग है उसे लगता है शराब पीकर अकड़ू ने फांसी लगा ली. छिंदवाड़ा के एसपी मनोज राय ने कहा 'परिजनों से बात की तो पता चला कि मृतक शराब पीने का आदी था और शराब के नशे में काफी रहता था. उसको लेकर संभवत: यह आत्महत्या प्रथम दृष्टया प्रतीत हो रही है. हमें कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. हम आगे की कार्रवाई कर रहे हैं.'
कांग्रेस को लगता है कि इस आत्महत्या में बीजेपी की भूमिका की जांच चाहिए, तो बीजेपी को लगता है कि प्रशासन का बर्ताव कांग्रेस प्रवक्ता की तरह है. कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना ने कहा 'हम देख रहे हैं कि लगातार जब से हमने किसान का कर्ज़ माफ किया है, बीजेपी बुरी तरह से तिलमिलाई हुई है. तब से कोई घटना नहीं हुई है. अभी दो दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कह रहे हैं किसानों का कर्ज़ माफ नहीं हुआ है. लगातार इस तरह का झूठा प्रचार कर रहे हैं. हमने आज चुनाव आयोग में भी इसकी शिकायत की है. मुझे लगता है इस एंगल पर भी देखना होगा.'
वहीं पूर्व सहकारिता मंत्री और बीजेपी विधायक विश्वास सारंग का कहना था कि 'किसान से कर्जे का झूठा वादा आपने किया, आपसे किसान परेशान है. किसान को अपनी खेती में पूरी तरह अराजकता का माहौल दिख रहा है. यदि किसान आत्महत्या करता है तो आंसू पोंछने के बजाए प्रशासन, एसपी आकर कांग्रेस के प्रवक्ता के रूप में बात कर रहे हैं. वे जिले के एसपी हैं या कांग्रेस के प्रवक्ता हैं. कांग्रेस कह रही है इसमें भी बीजेपी का हाथ होगा. यह केवल मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार की नाकामी का बहुत बड़ा उदाहरण है.'
कमलनाथ सरकार ने सत्ता संभालते ही दो लाख रुपये तक की कर्जमाफी कर दी. कुल 55,61,713 किसानों में 51,22,567 किसानों ने कर्ज माफी के फार्म भरे. लोकसभा चुनाव का ऐलान होने से पहले सरकार ने नौ मार्च तक 25 लाख किसानों का कर्जा माफ किया है जिस पर सात हजार दो सौ करोड़ रुपये का खर्चा आया है.
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