झाबुआ-रतलाम लोकसभा सीट से चुनाव जीते बीजेपी के जीएस डामोर सांसद बने रहेंगे. उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है. डामोर झाबुआ सीट से विधायक थे. उनके इस ऐलान के साथ ही मध्यप्रदेश में अब झाबुआ विधानसभा सीट पर उप चुनाव होना तय है.
डामोर ने पहले विक्रांत भूरिया को विधानसभा में हराया, फिर उनके पिता कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया को लोकसभा में. अब मध्यप्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट पर उप चुनाव होगा क्योंकि बीजेपी ने फैसला किया है कि इस सीट से चुने गए जीएस डामोर दिल्ली का रुख करेंगे, भोपाल से विदा होंगे.
मध्यप्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि जीएस डामोर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे, सांसद बने रहेंगे. डामोर के लोकसभा चुनाव जीतते ही यहां उपचुनाव की स्थिति बन गई थी. डामोर झाबुआ के विधायक हैं और फिर सांसद भी चुन लिए गए. नियम के मुताबिक ऐसे हालात में चुनाव जीतने के 14 दिन के भीतर एक सीट छोड़ना होती है.
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कांग्रेस को लगता है अब वह एक और विधायक बढ़ा लेगी. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है कि 'निश्चित तौर पर कांग्रेस की पूरी तैयारी है. इस उपचुनाव में भारी बहुमत से जीतेंगे, क्योंकि यह उपचुनाव राज्य सरकार के काम पर है. चाहे कर्जमाफी हो या आदिवासी वर्ग की भलाई की बात करें, युवाओं के रोजगार की बात करें, इसका फायदा हमें मिलेगा.'
इस सीट पर चर्चा राज्य में सियासी गणित के लिए जरूरी है क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 303 सांसद हैं. जबकि 230 सीट वाली विधानसभा में बीजेपी के 109 विधायक थे, अब 108 हैं. कांग्रेस के 114 विधायक हैं. फिलहाल चार निर्दलीय, दो बसपा व एक सपा विधायक के साथ उसके पास 121 का आंकड़ा है. यानी बीजेपी अब अगर प्रदेश में सरकार बनाने की कोई चाल चलती है तो उसे सात नहीं आठ विधायक चाहिए. हालांकि बीजेपी अब भी कह रही है कि वह सरकार नहीं गिराएगी.
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बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा 'आप अंदाजा लगा लीजिए उसके बावजूद हम बहुत आराम से हैं, मध्यप्रदेश विधानसभा में. सरकार गिराने की बात हमने कभी नहीं की, आज भी वही कह रहे हैं. कांग्रेस की सरकार तबादला में लगी हुई है, स्वंय के अंतर्विरोध से गिरेगी, हमारा गिराने का कोई इरादा नहीं है.'
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झाबुआ-रतलाम सीट राज्य में कांग्रेस का तीसरा गढ़ मानी जाती है. लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया ने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को हरा दिया. दिलीप सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुए तो कांतिलाल फिर सांसद बन गए. अब झाबुआ विधानसभा जीतना बीजेपी के लिए बहुत आसान नहीं होगा क्योंकि उसके पास इस सीट पर विकल्प बहुत ज्यादा नहीं हैं.
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