मध्यप्रदेश के 29 में से 28 लोकसभा सांसद बीजेपी के हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रही मध्यप्रदेश सरकार को केन्द्र से विकास कार्यों का हजारों करोड़ का बकाया वसूल करना है. यह राशि केंद्रीय योजनाओं के तहत मिलने वाले राज्य के हिस्से की है. ऐसे में प्रदेश सरकार के मंत्री पैसे के लिए तो केन्द्र को खत भेज ही रहे हैं, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बीजेपी के सभी 28 सांसदों को भी ईमेल भेजकर गुजारिश की है कि वे केन्द्र सरकार से फंड दिलवाएं.
खत में कहा गया है कि, 'केंद्र ने 35 से अधिक केंद्रीय योजनाओं का पैसा अटकाकर रखा है जिससे राज्य का विकास प्रभावित हो रहा है. आपको भी प्रदेश की जनता ने चुना है इसलिए उनका भी दायित्व है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रदेश को उसके हिस्से का फंड दिलवाएं.'
कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने कहा यह केन्द्र प्रायोजित समावेशी विकास के पैसे हैं, जिसके नहीं मिलने से मध्यप्रदेश का विकास प्रभावित होता है, जैसे सर्व शिक्षा अभियान का है. आईसीडीसी सिर्फ 6500 करोड़ नहीं हैं. 598 करोड़ सेंट्रल रोड फंड का नहीं दिया, नल-जल के 498 करोड़ रुपये नहीं दिए, भावांतर का 1017 करोड़ नहीं दिया, गेंहू के उपार्जन में लगभग 1500 करोड़ रुपये बकाया है.
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केन्द्र से मध्यप्रदेश सरकार को स्वच्छ भारत, आजीविका मिशन, स्मार्ट सिटी के 2600 करोड़ रुपये, कृषि विकास के 268 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 453 करोड़ रुपये, ग्रामीण विकास के 2601 करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना के 764 करोड़ रुपये, और छोटी मोटी कई और रकम जोड़कर लगभग 9000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा लेने हैं.
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हालांकि बीजेपी का कहना है कि केन्द्र से पैसे इसलिए रुके हैं क्योंकि राज्य सरकार केन्द्र को कार्य प्रगति और दूसरे रिपोर्ट नहीं भेज रही. बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा 'राज्य सरकार जब से आई है तबादलों में उलझी है, रिपोर्ट नहीं दे पा रही है. किसी भी तरह की कंप्लीशन, फिजीबिलिटी रिपोर्ट नहीं मिलेगी तो पैसा अवरुद्ध होना ही है क्योंकि केन्द्र सरकार हाथों में खेलने के लिए पैसा नहीं दे सकती. कांग्रेस कृपया पहले अपने सांसदों-विधायकों को चरित्र अच्छा रखने की नसीहत दे, जो सड़क पर उतरकर झगड़ा कर रहे हैं, फिर बीजेपी से सहयोग मांगे.'
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मध्यप्रदेश की आर्थिक हालत खस्ता है, उस पर 1.87 लाख का कर्ज़ा है. दिसंबर 2018 से सरकार ने हर महीने औसत 1500 करोड़ रुपये का कर्ज भी लिया है.
सरकार अभी 16000 करोड़ का कर्ज और लेगी. पिछली सरकार को वो इस मुद्दे पर घेरती रही है. लेकिन फिलहाल उसका तर्क है कि कर्ज विकास के लिए लिया जा रहा है. वैसे एक हकीकत यह भी है कि कई मदों में पैसा रोककर केन्द्र ने भी राज्य सरकार के हाथ बांध दिए हैं.
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