मध्यप्रदेश में कांग्रेस सर्वेक्षण करा रही है.
भोपाल:
विधानसभा चुनाव आते ही, कांग्रेस-बीजेपी दोनों को दलित वोटों की फिक्र सताने लगी है. दलित वोटरों में किसकी कितनी पैठ है ये भी आंका जाने लगा है. जहां कांग्रेस जिताऊ उम्मीदवार का वजन देखने के साथ जाति धर्म के आधार पर सर्वे करवा रही है, वहीं बीजेपी दलित वोटरों पर नजर रखने हर बूथ पर जाति प्रमुखों की तैनाती कर रही है.
महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इन दिनों एक फॉर्म दिया जा रहा है जिसमें उन्हें, जाति-उपजाति की जानकारी देनी है. वहीं पार्टी उम्मीदवारों के चयन के लिए भी हर विधानसभा में 10 पन्ने के फॉर्म को भरवाकर सर्वे करवा रही है. इस फॉर्म में मतदाताओं की 5 प्रमुख जाति और धर्म की प्रतिशत में जानकारी मांगी गई है, इसी फॉर्म में विधायक चुनने के लिए पहला विकल्प जाति और धर्म है. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष मांडवी चौहान ने कहा "जब सीट की बात आती है तो पता होना चाहिए कौन महिला काम कर रही है, अगर रिजर्व सीट है पिछड़ा वर्ग से आती है तो उसे देखते हुए डेटा इकठ्ठा कर रहे हैं. वहीं पार्टी प्रवक्ता मानक अग्रवाल ने कहा " जाति का डेटा इकठ्टा कर रहे ताकि टिकट बांटने में वहां के लोगों को मोबलाइज कर सकें. "
धर्म-जाति खंगालने और अपना वोट बैंक संवारने में बीजेपी भी पीछे नहीं है. पार्टी राज्य के सभी 65200 पोलिंग बूथों पर जाति प्रमुख की तैनाती कर रही है, जिम्मा अनुसूचित जाति वर्ग मोर्चा को सौंपा गया है. जाति प्रमुख अनुसूचित जाति का वो कार्यकर्ता होगा जिसके वोटरों की संख्या उस बूथ पर सबसे ज्यादा होगी. उसका काम अपने वर्ग के वोटरों की जानकारी रखना, उनसे संपर्क करना और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाना होगा. बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष सूरज कैरों ने कहा " एक बूथ पर वर्चस्व जिस समाज का है उन्हें लेंगे लेकिन दस घर एक समाज का है उसकी बात मानते हैं तो उसी समाज का कार्यकर्ता खड़ा करेंगे. हमारा एक प्रहरी हर बूथ पर हो उसी को अंजाम देने बूथ प्रमुख बनाने जा रहे हैं. लगभग सवा तीन लाख कार्यकर्ताओं की टीम खड़ी होगी जो निश्चित रूप से पार्टी के लिए हितकर होगा.
मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति की आबादी 15.2 फीसदी है. सूबे में अनुसूचित जाति की 35 सीटें हैं, जिसमें फिलहाल 28 पर बीजेपी काबिज है. राज्य में दलित आंदोलन के बाद कांग्रेस को लगता है, बीजेपी से दलित प्रभाव वाली सीटें छीनी जा सकती हैं, वहीं बीजेपी हर हाल में इन सीटों को बचाना और अपना आधार बढ़ाना चाहती है.
महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इन दिनों एक फॉर्म दिया जा रहा है जिसमें उन्हें, जाति-उपजाति की जानकारी देनी है. वहीं पार्टी उम्मीदवारों के चयन के लिए भी हर विधानसभा में 10 पन्ने के फॉर्म को भरवाकर सर्वे करवा रही है. इस फॉर्म में मतदाताओं की 5 प्रमुख जाति और धर्म की प्रतिशत में जानकारी मांगी गई है, इसी फॉर्म में विधायक चुनने के लिए पहला विकल्प जाति और धर्म है. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष मांडवी चौहान ने कहा "जब सीट की बात आती है तो पता होना चाहिए कौन महिला काम कर रही है, अगर रिजर्व सीट है पिछड़ा वर्ग से आती है तो उसे देखते हुए डेटा इकठ्ठा कर रहे हैं. वहीं पार्टी प्रवक्ता मानक अग्रवाल ने कहा " जाति का डेटा इकठ्टा कर रहे ताकि टिकट बांटने में वहां के लोगों को मोबलाइज कर सकें. "
धर्म-जाति खंगालने और अपना वोट बैंक संवारने में बीजेपी भी पीछे नहीं है. पार्टी राज्य के सभी 65200 पोलिंग बूथों पर जाति प्रमुख की तैनाती कर रही है, जिम्मा अनुसूचित जाति वर्ग मोर्चा को सौंपा गया है. जाति प्रमुख अनुसूचित जाति का वो कार्यकर्ता होगा जिसके वोटरों की संख्या उस बूथ पर सबसे ज्यादा होगी. उसका काम अपने वर्ग के वोटरों की जानकारी रखना, उनसे संपर्क करना और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाना होगा. बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष सूरज कैरों ने कहा " एक बूथ पर वर्चस्व जिस समाज का है उन्हें लेंगे लेकिन दस घर एक समाज का है उसकी बात मानते हैं तो उसी समाज का कार्यकर्ता खड़ा करेंगे. हमारा एक प्रहरी हर बूथ पर हो उसी को अंजाम देने बूथ प्रमुख बनाने जा रहे हैं. लगभग सवा तीन लाख कार्यकर्ताओं की टीम खड़ी होगी जो निश्चित रूप से पार्टी के लिए हितकर होगा.
मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति की आबादी 15.2 फीसदी है. सूबे में अनुसूचित जाति की 35 सीटें हैं, जिसमें फिलहाल 28 पर बीजेपी काबिज है. राज्य में दलित आंदोलन के बाद कांग्रेस को लगता है, बीजेपी से दलित प्रभाव वाली सीटें छीनी जा सकती हैं, वहीं बीजेपी हर हाल में इन सीटों को बचाना और अपना आधार बढ़ाना चाहती है.