सुप्रीम कोर्ट का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कोई प्रत्याशी या उसका समर्थक दलित वोटरों को कहता है कि आप हमें वोट करें, हम सत्ता में आने के बाद आपका विकास करेंगे तो क्या इसे भ्रष्ट आचरण माना जाएगा?
न्यायालय ने पूछा कि चुनाव के दौरान कोई प्रत्याशी भाषा विशेष के लोगों को ये कहता है कि आपका विकास नहीं हुआ, आप हमें वोट करें, सत्ता में आने के साथ ही हम आपका विकास करेंगे, तो भ्रष्ट आचरण माना जा सकता है या नहीं? जैसे कोई मराठी या पंजाबी की बात करें तो क्या हो?
वहीं, एक कांग्रेसी प्रत्याशी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि दलितों के विकास का बात की जा सकती है, क्योंकि दलितों को संविधान के द्वारा सरंक्षण मिला है. भाषा के मामले में ये फैसला कोर्ट को करना है.
सिब्बल ने कहा कि किसी प्रत्याशी, उसके एजेंट या किसी अन्य द्वारा धर्म के नाम पर वोट मांगना भ्रष्ट आचरण होता है. ऐसे में चुनाव रद्द किया जाना चाहिए. इंटरनेट के इस नए जमाने में उम्मीदवार सोशल मीडिया के जरिए धर्म के नाम पर वोटरों को लुभा सकता है, इसलिए बदलते वक्त में इस बारे में भी विचार करने की जरूरत है.
न्यायालय ने पूछा कि चुनाव के दौरान कोई प्रत्याशी भाषा विशेष के लोगों को ये कहता है कि आपका विकास नहीं हुआ, आप हमें वोट करें, सत्ता में आने के साथ ही हम आपका विकास करेंगे, तो भ्रष्ट आचरण माना जा सकता है या नहीं? जैसे कोई मराठी या पंजाबी की बात करें तो क्या हो?
वहीं, एक कांग्रेसी प्रत्याशी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि दलितों के विकास का बात की जा सकती है, क्योंकि दलितों को संविधान के द्वारा सरंक्षण मिला है. भाषा के मामले में ये फैसला कोर्ट को करना है.
सिब्बल ने कहा कि किसी प्रत्याशी, उसके एजेंट या किसी अन्य द्वारा धर्म के नाम पर वोट मांगना भ्रष्ट आचरण होता है. ऐसे में चुनाव रद्द किया जाना चाहिए. इंटरनेट के इस नए जमाने में उम्मीदवार सोशल मीडिया के जरिए धर्म के नाम पर वोटरों को लुभा सकता है, इसलिए बदलते वक्त में इस बारे में भी विचार करने की जरूरत है.
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