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फर्जी कंपनियां, बेरोजगार मालिक : मध्यप्रदेश में कैसे काम करता था 500 करोड़ का हवाला रैकेट

साल 2017 में हुआ था घोटाले का भंडाफोड़, रैकेट में कथित तौर पर एक बलशाली विधायक के करीबी लोग लिप्त पाए गए थे

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फर्जी कंपनियां, बेरोजगार मालिक : मध्यप्रदेश में कैसे काम करता था 500 करोड़ का हवाला रैकेट
केस की जांच कर रहे आईपीएस अधिकारी का साल 2017 में ट्रांसफर कर दिया गया था.
भोपाल:

मध्य प्रदेश में 500 करोड़ के अंतरराज्यीय हवाला रैकेट का भंडाफोड़ होने के सात साल बाद इस मामले में ब्यौरा सामने आए है कि कैसे दस्तावेज और गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल करके पैसे इधर से उधर कर लिए जाते थे. इस मामले में एक बलशाली विधायक के करीबी लोगों की कथित संलिप्तता पाई गई थी और इस मामले की जांच कर रहे एक पुलिसकर्मी का ट्रांसफर किया गया था. 

बैंक खातों में से कुछ खाते बेरोजगार युवाओं और सब्जी बेचने वालों के थे. कुछ मामलों में लगभग एक करोड़ का लेनदेन हुआ. खाता धारकों को आम तौर पर फर्जी कंपनियों के प्रमुखों के रूप में दिखाया गया था. कथित रूप से इस राशि को फिर कुछ कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया.

इस घोटाले में कुछ मामलों में खाता धारकों को हर माह 15,000 से 30,000 रुपये तक दिए जाते थे. इनमें से कई गरीबी रेखा से नीचे के कार्ड धारक थे.

कटनी जिले में साल 2017 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने हवाला रैकेट का भंडाफोड़ किया था. जांच के दौरान खनन कारोबारी से विधायक बने एक एमएलए, जो पहले कांग्रेस में थे और बाद में भाजपा में आए, के करीबी स्थानीय व्यापारियों के नाम भी सामने आए थे. जांच पूरी होने से पहले उसी साल गौरव तिवारी को छिंदवाड़ा जिले में स्थानांतरित कर दिया गया था.

हाल ही में मध्य प्रदेश के कटनी से करीब 700 किलोमीटर दूर राज्य के पश्चिमी हिस्से में स्थित रतलाम जिले के कुछ खाताधारकों ने पुलिस में शिकायतें दर्ज कराईं. शिकायतों में पैसे को इधर-उधर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तरीकों का खुलासा किया गया है. मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है.

इस मामले में कटनी में प्रमुख शिकायतकर्ताओं में से एक अंकित पटेल ने आरोप लगाया है कि उनके खाते से 29 लाख रुपये का लेनदेन किया गया था. पटेल ने कहा, "मेरे जीरो-बैलेंस वाले खाते से 29 लाख रुपये का लेनदेन किया गया था. मुझे बैंक की ओर से इसके बारे में सूचना दी गई थी, जिसके बाद मैंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई."

पुलिस ने कहा कि कटनी के गैत्रा गांव में 20 से अधिक लोगों के जीरो बैलेंस खाते एक सामान्य एजेंट विवेक पटेल के जरिए एक छोटे बैंक में खोले गए थे.

कटनी के पुलिस अधीक्षक अभिषेक रंजन ने कहा, "एक ही छोटे फायनेंस बैंक के 20 खातों में लेनदेन करोड़ों रुपये का हुआ है. इनमें से प्रत्येक खाते में 20 लाख रुपये से 90 लाख रुपये के बीच लेनदेन की सूचना है."

रतलाम में फास्ट-फूड स्टॉल के मालिक सूरज चौरे ने शिकायत दर्ज कराई कि तुलसीराम ओझा नाम के एक व्यक्ति ने उन्हें 15,000 रुपये प्रति माह के बदले बैंक खाता खोलने का लालच दिया. कागजों पर उन्हें एक घोस्ट कंपनी के प्रमुख के रूप में दिखाया गया था.

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "इसी तरह का लालच देकर सब्जी बेचने वालों, मजदूरों और एक प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारियों के खाते भी खोले गए. इन खातों का इस्तेमाल सिर्फ डेढ़ महीने में लगभग 50 करोड़ रुपये की हेराफेरी के लिए किया गया." तुलसीराम ओझा, योगेश शर्मा और सूर्यप्रकाश त्रिपाठी नाम के तीन लोगों को रतलाम से गिरफ्तार किया गया है. आरोपी पड़ोसी राज्य राजस्थान के भीलवाड़ा और अजमेर जिलों के रहने वाले हैं.

रतलाम रेंज के उप महानिरीक्षक मनोज सिंह ने मामले में सामने आए तथ्यों की पुष्टि की और कहा कि लेनदेन का मनी ट्रेल मध्य प्रदेश तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अन्य राज्यों तक भी फैला हुआ है.

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