मध्यप्रदेश में हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का मामला बड़े नाम बाहर आने से पहले फिलहाल पुलिस महानिदेशक बनाम महानिदेशक स्तर के अधिकारी का बनता नज़र आ रहा है. राज्य में विशेष डीजी (एसटीएफ और साइबर सेल) पुरुषोत्तम शर्मा ने खुलकर मांग की है कि एसआईटी की निगरानी एक डीजी-रैंक का अधिकारी जो पुलिस मुख्यालय के बाहर का हो उसे करना चाहिये. मध्यप्रदेश के डीजीपी वीके सिंह ने हाल ही में गाजियाबाद में विशेष डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने अपने महकमे के काम के लिये जिस फ्लैट को किराये से लिया था उसे खाली करा लिया. सूत्रों के मुताबिक कुछ ऐसे इनपुट मिले थे कि इस फ्लैट से कुछ तार कथित सेक्स रैकेट से जुड़े थे.
हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट मामला : जांच के दायरे में साइबर सेल के सीनियर आईपीएस!
इस मामले में केरल से वापल लौटने के बाद पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा, “ये मेरा व्यक्तिगत मत है कि एसआईटी का गठन लगातार विवादों में रहा. पहले इसका नेतृत्व IG-CID कर रहे थे, फिर ADG- रैंक के अधिकारी को इसका प्रमुख बनाया गया और बाद में इसके सदस्यों को भी बदल दिया गया. इसके बाद, साइबर सेल के गेस्ट हाउस को हनी ट्रैप से लिंक किया गया. पूरे विवाद के बाद मेरा मत है कि पुलिस महानिदेशक की छवि विवादों में आ जाती है. मेरे मत के अनुसार अब एसआईटी का पर्यवेक्षण किसी अन्य डीजी रैंक के अधिकारी को जो पुलिस मुख्यालय के बाहर हो करना न्याय के लिये सुसंगत होगा. दूसरी बात, मैं व्यक्तिगत रूप से यह भी मानता हूं कि साइबर सेल और एसटीएफ के सारे काम बहुत संवेदनशील होते हैं, जिसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है ऐसे में इससे जुड़े लोग विशेष कार्यों के दौरान कहां रहते हैं उसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके प्रभाव गंभीर हो सकते हैं. संभव है कि उनके जीवन को भी ख़तरा हो.''
शर्मा ने इस मामले में आईपीएस एसोसिएशन को एक पत्र भी लिखा है. हालांकि, इस मुद्दे पर जब डीजीपी वीके सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
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