बस्तर : जहां कभी गूंजती थी बंदूक की गोलियां.. वहां पहली बार बजी मोबाइल की घंटी

मोबाइल नेटवर्क शुरू होने के बाद गुरुवार को बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम और बस्तर एसपी जितेंद्र मीणा भी ग्रामीणों के बीच पहुंचे. इस दौरान कलेक्टर ने कोलेंग में नेटवर्क की सुविधा के विस्तार का जायजा लेने के लिए अपने सामने कॉमन सर्विस सेंटर के संचालक से  पेंशन और बैंक की गतिविधियों का संज्ञान ले कर हितग्राहियों को भुगतान करवाया. 

बस्तर : जहां कभी गूंजती थी बंदूक की गोलियां.. वहां पहली बार बजी मोबाइल की घंटी

बस्तर:

बस्तर जिले का ओड़िसा क्षेत्र से लगा गांव कोलेंग, जिसे कभी नक्सलियों की राजधानी कहा जाता था. इस इलाके में कभी दिनदहाड़े माओवादी ग्रामीणों की बैठकें लिया करते थे. पर अब धीरे धीरे यहां माहौल बदलता नजर आ रहा है. कोलेंग, छिंदगुर, चांदामेटा और मुण्डागढ़ ये वो इलाके हैं, जो कभी सरकार की तमाम योजनाओं से कोसों दूर हुआ करते थे. चांदामेटा की स्थिति तो ऐसी थी कि यहां के प्रत्येक घर का पुरुष नक्सल मामले में जेल जा चुका है पर अब यहां की तस्वीर बदलती नजर आ रही है.

दरअसल इस क्षेत्र में प्रशासन के द्वारा लगातार विकास कार्य करवाया जा रहा है, जिसमें ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाना प्रमुख उद्देश्य है. इस क्षेत्र के ग्रामीणों को ध्यान में रखते हुए इन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का सार्थक प्रयास किया जा रहा है. पक्की सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्थाएं दुरुस्त की गई हैं, अब पहली बार माओवादियों की पूर्व राजधानी कोलेंग में पहली बार मोबाइल की घंटी भी बजी.

मोबाइल नेटवर्क शुरू होने के बाद गुरुवार को बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम और बस्तर एसपी जितेंद्र मीणा भी ग्रामीणों के बीच पहुंचे. इस दौरान कलेक्टर ने कोलेंग में नेटवर्क की सुविधा के विस्तार का जायजा लेने के लिए अपने सामने कॉमन सर्विस सेंटर के संचालक से  पेंशन और बैंक की गतिविधियों का संज्ञान ले कर हितग्राहियों को भुगतान करवाया. 

कलेक्टर विजय दयाराम ने कहा कि ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाने में किसी प्रकार की कोताही बर्दास्त नहीं की जाएगी.

आज जब पूरा देश 5G नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है ऐसे में बस्तर का एक इलाका लंबे समय से विकास से दूर रह गया.  यही मुख्य वजह इस क्षेत्र में रहने वालों के पिछड़ने की मानी जा रही है. बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने इस मामले पर कहा कि ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं पहुंचाना हमारा मुख्य लक्ष्य है. इसपर किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यही वजह है कि उन्होंने स्वास्थ्य केंद्र के प्री बर्थ यूनिट की निर्माण कार्य में विलंब और गुणवत्ता का ध्यान नहीं देने के लिए आरईएस के एसडीओ से स्पष्टीकरण मांगने के निर्देश भी दिए हैं.

वृद्धा पेंशन के लिए पहले 25 किमी का सफर करते थे रायचंद 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

कोलेंग के ही 75 वर्षीय निवासी रायचंद ने बताया कि उन्हें भरोसा नहीं हो रहा कि उनका वृद्धा पेंशन उन्हें घर के बगल ही मिल गया. इससे पहले उन्हें पेंशन लेने अपने गांव से लगभग 25 किमी दूर नानगुर जाना पड़ता था, पेंशन की आधी रकम तो आने जाने में खर्च हो जाती थी और परेशान अलग होना पड़ता था. मोबाइल नेटवर्क की कीमत उन्हें अब समझ आई, अब केवल बैंक से जुड़े काम ही उनके गांव नहीं हो पाएंगे बल्कि यदि कोई बीमार पड़ेगा तो एम्बुलेंस के लिए या आपात स्थिति पर मोबाइल की मदद से अपनी समस्या भी संबंधित विभाग तक तत्काल पहुंचाई जा सकती है. रायचंद ने कहा मैंने कोलेंग की वो तस्वीरें भी देखी हैं, जब माओवादी प्रत्येक घर से एक युवा को संगठन में भेजने का फरमान सुनाते थे. जिसके डर से युवा मजदूरी करने दूर चले जाया करते थे और अब बदलती तस्वीर भी देख रहे हैं जब अपने ही गांव में सारी सुविधाएं धीरे धीरे पहुंचने लगी हैं.