दो महिला पुलिसकर्मी भी टॉवर से गिरकर घायल हो गईं
भोपाल:
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पॉलिटेक्निक चौराहे पर अपनी मांगों को लेकर टावर पर चढ़कर प्रदर्शन कर रही एक आशा कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गई. साथ ही, दो महिला पुलिसकर्मी भी टॉवर से गिरकर घायल हो गईं. पुलिस ने सभी को गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया है. प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री निवास से बमुश्किल 200 मीटर की दूरी पर ये प्रदर्शन कर रहे थे. बुधवार तकरीबन 3 बजे अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही कुछ आशा कार्यकर्ता टावर पर चढ़ गईं. उतारने के लिए पुलिस समेत कुछ लोग टावर पर चढ़े, लेकिन इस दौरान टावर से उतारते समय भिंड से आई कार्यकर्ता गिर गई. घटना के बाद पुलिस ने आशा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया. आशा कार्यकर्ता के टावर से गिरते ही वहां मौजूद अन्य कार्यकर्ता आक्रोशित हो गईं और उन्होंने पुलिस कर्मियों से जमकर हाथापाई की.
भोपाल में पिछले दो दिनों से पूरे राज्य से लगभग 3000 आशा और उषा कार्यकर्ता मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री निवास के पास धरना दे रही थीं. इनकी मांग है कि आशा सहयोगिनी को 25 हजार रुपए और आशा-उषा कार्यकर्ताओं का मानदेय 10 हजार किया जाए.
इस घटना के बाद कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने घटनास्थल पर जाकर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और कहा, 'ये बेहद शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री के पास आशा बहनों की मांग सुनने के लिये 5 मिनट नहीं हैं. ये 24 घंटे से मुख्यमंत्री के दरवाजे के बाहर बैठी रहीं. ये रात में अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ सड़क पर सोती रहीं. पूरे इलाके को छावनी बना दिया गया. मामा कहलवाने का उनको शौक है लेकिन असली असंवेदनशील चेहरा जनता के सामने आ गया है.'
वहीं बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि 'एक हफ्ते पहले आशा कार्यकर्ताओं का मान बढ़ाया, दोगुनी वृद्धि की थी. चुनाव की बेला में आशा कार्यकर्ताओं में कांग्रेस अपनी आशा की किरण न देखे. सरकार ने हमेशा वाजिब मांगें मानी हैं, और आगे भी मानी जाएंगी.'
भोपाल में पिछले दो दिनों से पूरे राज्य से लगभग 3000 आशा और उषा कार्यकर्ता मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री निवास के पास धरना दे रही थीं. इनकी मांग है कि आशा सहयोगिनी को 25 हजार रुपए और आशा-उषा कार्यकर्ताओं का मानदेय 10 हजार किया जाए.
इस घटना के बाद कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने घटनास्थल पर जाकर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और कहा, 'ये बेहद शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री के पास आशा बहनों की मांग सुनने के लिये 5 मिनट नहीं हैं. ये 24 घंटे से मुख्यमंत्री के दरवाजे के बाहर बैठी रहीं. ये रात में अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ सड़क पर सोती रहीं. पूरे इलाके को छावनी बना दिया गया. मामा कहलवाने का उनको शौक है लेकिन असली असंवेदनशील चेहरा जनता के सामने आ गया है.'
वहीं बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि 'एक हफ्ते पहले आशा कार्यकर्ताओं का मान बढ़ाया, दोगुनी वृद्धि की थी. चुनाव की बेला में आशा कार्यकर्ताओं में कांग्रेस अपनी आशा की किरण न देखे. सरकार ने हमेशा वाजिब मांगें मानी हैं, और आगे भी मानी जाएंगी.'
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