भोपाल गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले अब्दुल जब्बार का गुरुवार की देर रात निधन हो गया. वे बीते कुछ दिनों से बीमार थे और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. राजधानी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से दो दिसंबर 1984 की रात को जहरीली मिथाइल आइसोसाएनेट गैस ने हजारों लोगों की जान ले ली थी. अब्दुल जब्बार ने इस त्रासदी में अपने माता-पिता को खो दिया था. इस गैस का उनके फेफड़ों और आंखों पर भी गंभीर असर हुआ था. वे भी बीमरियों की चपेट में आ गए थे, उन्हें एक आंख से कम दिखाई देता था.
चुनाव दर चुनाव, लेकिन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की फिक्र किसी को नहीं
गैस पीड़ितों के नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले अब्दुल जब्बार रक्तचाप और शुगर की बीमारी से पीड़ित थे. पिछले दिनों उन्हें भोपाल के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान गुरुवार की रात को उनका निधन हो गया. गुरुवार दोपहर को ही राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जब्बार के इलाज के लिए हर संभव मदद का ऐलान किया था. उन्हें मुंबई भेजे जाने की तैयारी चल रही थी, इसी बीच उनका निधन हो गया.
अब्दुल जब्बार ने गैस पीड़ितों के हक की लंबी लड़ाई लड़ी थी उन्होंने पीड़ित परिवारों कि महिलाओं के लिए भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन बनाया. इसके जरिए महिलाओं को आर्थिक तौर पर सक्षम बनाने का अभियान भी चलाया.
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