- पुणे के पॉश इलाके में 1800 करोड़ की सरकारी जमीन 300 करोड़ में खरीदने के आरोप अजित पवार के बेटे पर लगा है.
- विपक्षी दलों का आरोप है कि इस डील में स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई थी. विवाद बढ़ने पर डील रद्द कर दी गई है.
- अजित पवार ने कहा कि सौदा रद्द कर दिया गया है और पार्थ पवार को जमीन के सरकारी होने की जानकारी नहीं थी.
Parth Pawar Land Scam Case Pune: पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में 300 करोड़ रुपये में 40 एकड़ जमीन की बिक्री के सौदे ने राजनीतिक हलचल मचा दी है. यह जमीन अमाडिया एंटरप्राइजेज LLP नामक कंपनी को बेची गई थी, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भागीदार हैं. विवाद इसलिए भी बढ़ गया है, क्योंकि यह जमीन सरकारी बताई जा रही है और इस सौदे में आवश्यक स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई थी. इसके अलावा, विपक्षी दलों का आरोप है कि संबंधित जमीन की वास्तविक कीमत करीब 1,800 करोड़ रुपये थी. कहा गया कि डिप्टी सीएम के बेटे को 1800 करोड़ की सरकारी जमीन 300 करोड़ में दे दी गई.
अजित पवार ने कहा- डील रद्द कर दी गई है
विवाद बढ़ने के बाद अजित पवार खुद सामने आए, कहा कि यह डील रद्द कर दी गई है. उन्होंने बेटे का बचाव करते हुए यह भी कहा कि पार्थ को यह पता नहीं था कि यह सरकारी जमीन है. डिप्टी CM ने अपने राजनीतिक जीवन में शुचिता और पारदर्शिता का भी हवाला दिया. कहा कि मैंने पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद खुद सीएम को फोन कर कहा कि इस मामले की जांच कराए.
मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन
राज्य के राजस्व एवं वन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खरगे की अध्यक्षता वाली समिति पुणे शहर के मौजे मुंधवा में सर्वेक्षण संख्या 88 से संबंधित 'दस्तावेजों के अनधिकृत पंजीकरण' की जांच करेगी और यह निर्धारित करेगी कि क्या इस सौदे से राज्य के खजाने को कोई वित्तीय नुकसान हुआ है. प्रस्ताव में कहा गया है कि समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
जांच समिति के अध्यक्ष खरगे हैं, और पुणे के संभागीय आयुक्त, पंजीकरण एवं स्टाम्प महानिरीक्षक (पुणे), निपटान आयुक्त और भूमि अभिलेख निदेशक, पुणे के जिला कलेक्टर और राजस्व विभाग में संयुक्त सचिव (स्टाम्प) इसके सदस्य हैं.

भूमि सौदा कैसे हुआ, जिम्मेदार कौन... समिति करेगी जांच
अधिकारियों ने बताया कि समिति इस बात की जांच करेगी कि भूमि सौदा कैसे हुआ, किसी भी प्रक्रियागत उल्लंघन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों या व्यक्तियों की पहचान करेगी, सुधारात्मक उपायों की सिफारिश करेगी तथा भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के तरीके भी सुझाएगी.

अजित पवार बोले- बेटे को नहीं पता था कि यह सरकारी जमीन
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आज शाम पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनके बेटे पार्थ और उनके व्यापारिक साझेदार को इस बात की जानकारी नहीं थी कि पुणे में जो जमीन उनकी कंपनी ने खरीदी है, वह सरकार की है. अजित पवार ने कहा कि 300 करोड़ रुपये के सौदे की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. उन्होंने कहा कि सौदे से संबंधित दस्तावेजों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है और इस संबंध में अधिकारियों को हलफनामा सौंप दिया गया है.
बेटे पर लगे आरोपों पर क्या बोले अजित पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख अजित पवार ने कहा, ‘‘संबंधित जमीन सरकारी है जिसे बेचा नहीं जा सकता. पार्थ और उनके सहयोगी दिग्विजय पाटिल को इस तथ्य की जानकारी नहीं थी. पंजीकरण (बिक्री का) कैसे हुआ और इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है, यह अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खरगे की अगुवाई में हो रही जांच में पता चलेगा और वह एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे.''

FIR में अजित पवार के बेटे का नाम नहीं
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार, अधिकारियों पर पार्थ पवार की कंपनी (अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी) को ज़मीन हस्तांतरित करने का कोई दबाव नहीं था. अजित पवार ने कहा कि प्राथमिकी में तीन लोगों (दिग्विजय पाटिल सहित) के नाम हैं, लेकिन उनके बेटे का नहीं है, क्योंकि वे तीनों लोग दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करने के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय गए थे.
उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि न तो मैंने और न ही मेरे कार्यालय ने कोई फ़ोन किया, कोई मदद की, और न ही किसी भी स्तर पर इस लेन-देन के बारे में हमारी कोई भूमिका या जानकारी थी.''
डील रद्द करने के लिए भी देने होंगे 21 करोड़
दूसरी ओर सब रजिस्ट्रार ऑफिस से जो सामने आई है, उसके अनुसार जमीन का सौदा रद्द करने के लिए पार्थ पवार की ओर से आया आवेदन खारिज कर दिया गया है. क्योंकि नियम के मुताबिक पूरी स्टैंप ड्यूटी भरे बिना कैंसिलेशन नहीं होता है. दरअसल कानूनी नियम के अनुसार, सौदा रद्द हो जाने के बावजूद स्टैंप ड्यूटी के पैसे भरने पड़ते हैं. यह राशि सौदे की कीमत का 7% है. ₹300 करोड़ के 7% यानी ₹21 करोड़ की रकम चुकानी पड़ेगी.
बताया गया कि अमेडिया कंपनी की ओर से कैंसिलेशन डीड के दस्तावेज़ों के लिए पुणे सब-रजिस्ट्रार के पास आवेदन किया गया था. लेकिन, सब-रजिस्ट्रार ने संबंधित आवेदन को खारिज कर दिया है. सब-रजिस्ट्रार ने यह कहते हुए अर्जी खारिज कर दी कि 'स्टैंप ड्यूटी पूरी भरे बिना आवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता.
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