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मुंबई में कांग्रेस का चैप्टर क्लोज! अब ठाकरे ब्रदर्स पर जोर, राज-उद्धव मिलकर लड़ेंगे BMC चुनाव

Mumbai BMC Chunav: शिवसेना नेता संजय राउत ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि मुंबई में शिवसेना-मनसे की जोडी 100 पार जाएगी और कांग्रेस को लाने की अब कोशिश नहीं होगी. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद अगर जरूरत पड़ी तो मदद ली जाएगी. इसे लेकर ऊपरी स्तर पर बात हो चुकी है.

मुंबई में कांग्रेस का चैप्टर क्लोज! अब ठाकरे ब्रदर्स पर जोर, राज-उद्धव मिलकर लड़ेंगे BMC चुनाव
  • महाराष्ट्र की राजनीति में राज और उद्धव 20 साल बाद बीएमसी चुनाव में साथ लड़ने जा रहे हैं.
  • उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने कांग्रेस के साथ गठबंधन छोड़कर MNS के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
  • शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस से चुनाव के बाद जरूरत पड़ने पर ही सहयोग लिया जाएगा.
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मुंबई:

महाराष्ट्र की सियासत में आख़िरकार वो हो गया, जिसकी कल्पना भी कल तक नामुमकिन थी. सालों की दूरियां, दशकों की कड़वाहट और “ठाकरे बनाम ठाकरे” की जंग पर अब विराम लग गया है. राज और उद्धव अब बीस साल के बाद चुनाव साथ लड़ने जा रहे हैं. महाराष्ट्र का सियासी पारा दिसंबर की सर्दी में सातवें आसमान पर है.

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राज-उद्धव साथ लड़ेंगे BMC चुनाव

उद्धव की शिवसेना ने आज साफ कर दिया कि कांग्रेस के साथ समझौते की उम्मीद अब खत्म हो चुकी है. अब मुंबई की जंग दोनों भाई “राज-उद्धव” साथ अपने दम पर लड़ेंगे. 20 साल की कड़वाहट भूल, ठाकरे भाई सबसे अमीर महानगरपालिका BMC चुनाव के लिए साथ आएंगे. इसका ऐलान बुधवार दोपहर 12 बजे किया जाएगा. इसे मजबूरी और रणनीति दोनों ही कहना गलत नहीं होगा.

हालिया हुए महाराष्ट्र नगर पंचायत और नगर परिषद चुनावों के रिपोर्ट कार्ड में उद्धव सेना को भले ही सिंगल डिजिट 9 मिला हो लेकिन आने वाले 15 जनवरी की सबसे बड़ी मुंबई की जंग यानी BMC चुनाव में 100 पार जाने की उम्मीद पार्टी लगाए बैठी है.

संजय राउत का दावा- कांग्रेस को साथ लाने की कोशिश नहीं 

शिवसेना नेता संजय राउत ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि मुंबई में शिवसेना-मनसे की जोडी 100 पार जाएगी और कांग्रेस को लाने की अब कोशिश नहीं होगी. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद अगर जरूरत पड़ी तो मदद ली जाएगी. इसे लेकर ऊपरी स्तर पर बात हो चुकी है.

मतलब साफ है कि कांग्रेस की याद शिवसेना को चुनाव के बाद ही आएगी, वो भी जरूरत पड़ने पर. फिलहाल पूरा फोकस 'ठाकरे ब्रांड' पर है. तो सवाल यह है कि क्या 'मराठी मानुस' के वोटबैंक पर फिर ठाकरे परिवार का कब्जा होगा. बता दें कि शिंदे सेना के नेता भी पूरे तेवर में हैं.

'मिलकर लड़ें या अलग, हार निश्चित है'

शिंदे गुट के नेता संजय निरुपम ने कहा कि MVA एक बिखरा हुआ गठबंधन है. उद्धव ठाकरे ने अपनी प्रासंगिकता बचाए रखने के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाया था. अब, अपनी प्रासंगिकता फिर से बचाने के लिए वे मनसे (MNS) के साथ जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं. वे चाहे मिलकर लड़ें या अलग-अलग, उनकी हार निश्चित है.

बता दें कि मुंबई की सत्ता के सिंहासन पर 25 सालों तक सिर्फ ठाकरे का कब्जा रहा. 1997 से 2022 तक बीएमसी मतलब सिर्फ और सिर्फ उद्धव ठाकरे की शिवसेना थी, लेकिन शिवसेना में फूट के बाद मराठी वोट बिखर चुका है. राज ठाकरे भी भाषणों में अपने तेवर को वोटों में बदल नहीं पाते, विधानसभा चुनावों में MNS का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी अपनी सीट हार गए और पार्टी ज़ीरो पर रही. अब उद्धव और राज दोनों के लिए ही ये चुनाव अपनी साख बचाने का आखिरी मौका है.

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