- महाराष्ट्र में बीएमसी चुनाव को लेकर महायुति में सीटों के बंटवारे को लेकर गंभीर मतभेद चल रहे हैं
- बीजेपी ने शिवसेना को 90 सीटों का ऑफर दिया है जबकि एकनाथ शिंदे 125 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं
- मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि सीटों को लेकर जिद बढ़ी तो बीजेपी-शिवसेना गठबंधन टूट भी सकता है
महाराष्ट्र में बीएमसी चुनाव को लेकर महायुति में खींचतान चल रही है. बीजेपी ने शिवसेना को 90 सीटों का ऑफर दिया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे 125 सीटों की जिद पर अड़े हुए हैं. सीटों की खींचतान के बीच शिंदे सेना मंत्री संजय शिरसाट ने बीजेपी को साफ-साफ कह दिया है कि सीटों को लेकर ये ज़िद बढ़ी तो बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन टूट भी सकता है. उधर, अजित पवार के भी बीएमसी चुनाव में अकेले लड़ने की खबरें आ रही हैं.
जहां तुम्हारी ताकत ज्यादा है, तुम लड़ों, लेकिन...!
महराष्ट्र सरकार में मंत्री संजय शिरसाट ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा, 'देखिए, बीजेपी के स्थानीय नेता (मैं वरिष्ठ नेताओं की बात नहीं कर रहा हूं) जो हैं, उनको ऐसा लग रहा है कि अपनी ताकत बढ़ चुकी है, इसलिए उनको लगता है कि ज्यादा सीटें मांगनी चाहिए. ज्यादा सीटें मांगो, उसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन कितनी? इसकी भी एक लिमिट होती है! जहां हमारा बल ज्यादा है, हमारी ताकत ज्यादा है, वहां हम ज्यादा लड़ेंगे, जहां तुम्हारी है, तुम लड़ो. यही फॉर्मूला देवेंद्र फडणवीस साहब ने और एकनाथ शिंदे साहब ने हमको बताया है.'

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Photo Credit: IANS
हम चाहते हैं साथ चुनाव लड़ना
संजय सिरसाट ने कहा, 'किसी भी हालत में महायुति में ही हम सबको चुनाव लड़ना है. लगभग सबकुछ तय होने के बाद कार्यकर्ताओं के बीच कहना कि तुम छोटे भाई की भूमिका में हो, हम बड़े भाई की भूमिका में हैं. ये गलत बात है. कई जगह के स्थानीय नेता इस तरह की बातें कर रहे हैं, जिससे महायुति में कहीं न कहीं दरार आ सकती है. हालांकि, आज भी हम महायुति के साथ खड़े हैं. महायुति से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं. फडणवीस साहब को हमारा समर्थन है. लेकिन ऊपर से स्थानीय कार्यकर्ताओं को निर्देश देना होगा कि अलग बातें न करें'
गठबंधन क्यों नहीं टूटेगा?
संजय शिरसाट से जब पूछा गया कि क्या भाजपा के जो बयान सामने आ रहे हैं, उनसे महायुति में दरार आ सकती है... इस पर उन्होंने कहा, 'टूट सकता है न, क्यों नहीं टूटेगा? भाजपा के कुछ लोगों की वजह से ये सब कुछ होता है और हम उनको समझाते हैं, ऐसा मत करो. ये देवेंद्र जी की इच्छा नहीं है, एकनाथ शिंदे साहब की इच्छा नहीं है. लेकिन कुछ लोग मानने को तैयार नहीं हुए, तो इसका इफ़ेक्ट हो सकता है. बहुत कम दिन बचे हैं अपने पास, फॉर्म भरना है, प्रचार करना है, नाराज साथियों को मनाना है. अगर ऐसे में में हम लोग इस खींचतान में लगेंगे, तो यकीनन नुकसान होगा. जनता, जिन्होंने चाहा है कि महायुति सत्ता में आए, उनको भी ये अच्छा नहीं लगेगा. इसलिए, हमें एकजुट रहना चाहिए.
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