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This Article is From Sep 16, 2021

महाराष्‍ट्र : सुस्‍त जीवनशैली ने बच्‍चों में बढ़ाई मोटापे और डायबिटीज की समस्‍या, सरकार ने शुरू की डिजिटल मुहिम

लॉकडाउन में कई लोग सुस्त जीवन शैली को अपना रहे हैं. क़रीब डेढ़ साल की घरों में 'क़ैद' भी मोटापा बढ़ा रही है. ऐसे में वज़न बढ़ने से लोगों में डायबिटीज का खतरा भी बढ़ा है. 20 साल से कम उम्र के किशोर-बच्चे बड़ी संख्या में इसका शिकार हो रहे हैं. 

सुस्त जीवन शैली के कारण बच्चे भी अब मोटापा औरडाबिटीज का शिकार बन रहे हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)

मुंबई:

Maharashtra: बीते क़रीब डेढ़ सालों से सुस्त जीवन शैली अपनाने वालों में मोटापे-डायबिटीज़ का ख़तरा बढ़ा है. महाराष्ट्र (Maharashtra) में 20 साल से कम उम्र के किशोर-बच्चे इस कदर बड़ी संख्या में मोटापे का शिकार हो रहे है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस पर रोकथाम के लिए डॉक्टरों के साथ मिलकर डिजिटल मुहिम की शुरुआत की है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे की मौजूदगी में डॉक्टरों ने इस मुहिम को लॉंच किया… एक्सर्पट्स बताते हैं कि ICU के 85% कोविड मरीज़ मोटापा-डायबटीज़ के शिकार हैं और 10 मौतों में 4 मौतें इन्हीं की देखी जा रही है. गौरतलब है कि लॉकडाउन में कई लोग सुस्त जीवन शैली को अपना रहे हैं. इस दौरान क़रीब डेढ़ साल की घरों में 'क़ैद' भी मोटापा बढ़ा रही है. ऐसे में वज़न बढ़ने से लोगों में डायबिटीज का खतरा भी बढ़ा है. 20 साल से कम उम्र के किशोर-बच्चे बड़ी संख्या में इसका शिकार हो रहे हैं. 

लेप्रोस्‍कोपिक बेरियाट्रिक सर्जन डॉक्‍टर शशांक सिंह ने कहा, 'कोविड के दौरान 10 मौतों में चार मृत मरीज़ को डायबिटीज़ था. चार को मोटापा (ओब‍िसिटी) या किसी न किसी को सांस की तकलीफ़ थी. ये बीमारी अब टीनेज़र्स में बहुत बढ़ रही है. कुछ करने की ज़रूरत है इसलिए लैप्रोओबीसो-सेंटर महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर डिजिटल माध्यम के ज़रिए एक इनिशटिव शुरू कर रहा है जो सबसे ज़्यादा इफ़ेक्टिव है. सिम्पल भाषा में हम इससे बचने के उपायसरकार के डिजिटल प्लाट्फ़ोर्म से हर हफ़्ते सबके सामने रखेंगे…''

मोटापा, डायबिटीज और कोविड-19 एक खतरनाक तिकड़ी है. महाराष्ट्र में कोविड के दौरान हर 10 मौतों में 4 मरीज़ मोटापा या डायबटीज़ के शिकार रहे. ICU या वेंटिलेटर पर मौजूद क़रीब 85% कोविड मरीज़ मोटापा या डायबटीज़ से जूझ रहे हैं. डॉ प्रीतम मोटापे और डायबिटीज़ के 20 साल से कम उम्र के करीब 15 मरीज़ हर हफ़्ते देख रहे हैं. वे बताते हैं, 'मोटोपे की समस्या टीनेजर्स और अर्ली 20s में काफ़ी बढ़ गयी है. हफ़्ते में क़रीब ऐसे 15 मरीज़ हमारे पास आ रहे हैं. जितने भी हमारे ICU पेशंट्स हैं उनमें क़रीब 80-85% में मोटापा  या डायबिटीज या फिर दोनों हैं. यहीं मरीज़ ज़्यादातर वेंटिलेटर पर जाते हैं क्‍योंकि इम्यूनिटी कम होती है इनमें कॉम्प्लिकेशंज़ ज़्यादा होती हैं और मौत के आशंका इनमें ज़्यादा होती हैं.' बताया जाता है कि डायबिटीज़ के शिकार दुनिया के हर 6 लोगों में से 1 मरीज भारत का है. एक अनुमान के अनुसार, भारत में 7.7 करोड़ डायबिटीज़ के मरीज़ हैं. ये बीमारी ना सिर्फ़ बाक़ी बीमारियों को न्योता देती है बल्कि रिकवरी भी जटिल बनाती है.

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