- महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में गर्भवती महिला आयशा अरबाज शेख ने दहेज प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या की.
- आयशा केवल 23 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती होने के बावजूद ससुराल में शारीरिक और मानसिक यातनाएं सह रही थी.
- आयशा के पति ने फल व्यवसाय के लिए मायके से 7 लाख रु. लाने का दबाव बनाया, जो परिवार की आर्थिक स्थिति से परे था।
Maharashtra Dowry Suicide: महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है. यहां हर्सूल इलाके में एक गर्भवती महिला ने दहेज के दबाव और ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग आकर अपनी जान दे दी. यह घटना समाज के सामने फिर से बड़ा सवाल खड़ा करती है कि आखिर कब तक दहेज की कुप्रथा मासूम जिंदगियों को निगलती रहेगी?
5 महीने की गर्भवति थी महिला
मृतका की पहचान आयशा अरबाज शेख के रूप में हुई है. आयशा सिर्फ 23 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी. उसने फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. यह घटना न केवल दर्दनाक है बल्कि सोचने पर मजबूर करती है कि एक मां बनने वाली महिला को इतना बड़ा कदम क्यों उठाना पड़ा.
सुसाइड नोट में दर्द की कहानी
आयशा ने मौत से पहले एक सुसाइड नोट छोड़ा. इस नोट में उसने अपनी पूरी आपबीती लिखी है. उसने बताया कि उसका पति अरबाज फल का व्यवसाय शुरू करना चाहता था और इसके लिए वह आयशा पर मायके से सात लाख रुपये लाने का दबाव बना रहा था. यह रकम न मिलने पर उसके साथ बुरा व्यवहार शुरू हो गया.
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गरीबी बनी मजबूरी
आयशा के पिता ने साफ कहा कि वे इतनी बड़ी रकम देने में सक्षम नहीं हैं. उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन इस असमर्थता ने आयशा की जिंदगी को नरक बना दिया. ससुराल वालों ने पैसे के लालच में उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया.
लगातार मारपीट और गाली-गलौज
सुसाइड नोट के मुताबिक, आयशा को रोजाना मारपीट और गाली-गलौज का सामना करना पड़ता था. गर्भवती होने के बावजूद उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया. आखिरकार, इन सब यातनाओं से तंग आकर उसने अपनी जान दे दी.
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