
- महाराष्ट्र के संभाजीनगर में ड्राइवर को 150 करोड़ की ज़मीन उपहार में मिली.
- ईओडब्ल्यू इस संदिग्ध बेनामी सौदे की जांच कर रही है.
- जावेद रसूल शेख 13 साल से सांसद और विधायक का ड्राइवर है.
- जमीन हैदराबाद के सालार जंग परिवार से मिली है.
कोई ड्राइवर अचानक 150 करोड़ का मालिक बन जाये, ये बात आसानी से हज़म नहीं होती. महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. संभाजीनगर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) एक संदिग्ध बेनामी भूमि सौदे की जांच कर रही है, जिसमें शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) सांसद संदीपन भुमरे और उनके बेटे विधायक विलास भुमरे के लिए 13 साल से ड्राइवर के रूप में काम करने वाले व्यक्ति जावेद रसूल शेख की भूमिका संदिग्ध दिखती है.
आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक, मामले में हैदराबाद के तत्कालीन निजाम के दीवान के परिवारिक सदस्यों द्वारा लगभग 150 करोड़ रुपये की 3 एकड़ ज़मीन सांसद और विधायक के ड्राइवर को उपहार में दे दी गई है. संभाजीनगर के दौलतपुरा इलाके में जलना रोड पर स्थित इस ज़मीन के हिस्से को प्राइम लोकेशन माना जाता है.

बताया जा रहा है कि हैदराबाद के प्रतिष्ठित सालार जंग परिवार के एक वंशज मीर मजहर अली खान और उनके 6 अन्य संबंधियों ने ‘हिबानामा' (गिफ्ट डीड) के तहत ये संपत्ति ड्राइवर जावेद रसूल शेख के नाम की है. ईओडब्ल्यू की टीम इस बात का पता लगाने में जुटी है कि गिफ्ट देने और लेने वाले में कोई रिश्ता नहीं फिर भी एक ड्राइवर को प्राइम लोकेशन पर तीन एकड़ जमीन उपहार के तौर पर क्यों दे दी गई? मामले में वकील मुजाहिद खान ने शिकायत की, जिसके बाद छत्रपति संभाजी नगर ईओडब्ल्यू ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है और संबंधित व्यक्तियों को समन जारी किया है.
बता दें कि 'हिबानामा' एक ऐसा गिफ्ट डीड है, जिसमें मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति स्वेच्छा से किसी को तोहफे में देता है. बताया जा रहा है कि ये गिफ्ट डीड उसी समय बनाई गई, जब मजहर अली और अन्य सम्बंधियों ने एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इस ज़मीन पर अपना दावा साबित किया था, लेकिन इतनी लंबी लड़ाई के बाद आख़िर तोहफ़े में ड्राइवर जावेद को ये ज़मीन क्यों दे दी गई? वाक़ई ये स्वेच्छा से दिया तोहफ़ा है या इसके पीछे कोई छुपी मंशा है? EOW इसी पहेली को सुलझाने की कोशिश में है.
क्यों तोहफे में मिली ड्राइवर को 150 करोड़ की जमीन?
रातोंरात करोड़पति बने ड्राइवर जावेद शेख ने बताया, 'निजाम के परिवार से हमारा गहरा संबंध रहा है. मेरे अब्बा को वो बहुत मानते थे. इसलिए उन्होंने मुझे तोहफे में जमीन गिफ्त में दी है.' वहीं, विधायक विलास भुमरे का कहना है कि जावेद हमारा ड्राइवर है, उसके निजी जीवन में क्या लेन देन हुई हमारा इससे कोई ताल्लुक नहीं है.
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