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मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने फिर से खोला छगन भुजबल का बेनामी संपत्ति केस

मंगलवार को हुई सुनवाई में जज सत्यनारायण आर. नवंदर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “यह नहीं कहा जा सकता कि हाईकोर्ट का आदेश मेरिट पर दिया गया था.” कोर्ट ने साफ किया कि कार्यवाही को तकनीकी वजहों से रोका गया था और अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन स्वीकार कर ली है, “इस अदालत के पास मूल कार्यवाही बहाल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.”

मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने फिर से खोला छगन भुजबल का बेनामी संपत्ति केस
(फाइल फोटो)
  • मुंबई की विशेष अदालत ने छगन भुजबल के खिलाफ बेनामी संपत्ति मामले को पुनः खोलने का आदेश दिया है
  • बॉम्बे HC ने पहले केस को तकनीकी आधार पर खारिज किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पुनः सुनवाई का रास्ता खोला है
  • इनकम टैक्स विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केस बहाल करने की अर्जी लगाई थी, जिसे अदालत ने स्वीकार किया
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मुंबई:

मुंबई की एक विशेष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल, उनके बेटे पंकज, भतीजे समीर और Armstrong Infrastructure Pvt. Ltd. के डायरेक्टर्स के खिलाफ बेनामी संपत्ति का मामला दोबारा खोल दिया है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के रिव्यू ऑर्डर के बाद आया है.

साल 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह केस खारिज कर दिया था, लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि अगर शीर्ष अदालत इजाजत दे तो कार्यवाही फिर से शुरू हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, इनकम टैक्स विभाग (Benami Prohibition Unit-I, मुंबई) ने केस बहाल करने की अर्जी लगाई थी.

इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान, स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर जयकुमार शिर्डोंकर ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने केवल तकनीकी आधार पर राहत दी थी, केस की मेरिट पर कोई फैसला नहीं हुआ था. वहीं दूसरी तरफ, एडवोकेट सुधर्शन खवासे, जो Armstrong Infrastructure और भुजबल परिवार का पक्ष रख रहे थे, उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने केस के पहलुओं को भी देखा था और साथ ही यह भी बताया कि सभी आरोपियों को रिकॉल पिटीशन में शामिल नहीं किया गया है.

मंगलवार को हुई सुनवाई में जज सत्यनारायण आर. नवंदर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “यह नहीं कहा जा सकता कि हाईकोर्ट का आदेश मेरिट पर दिया गया था.” कोर्ट ने साफ किया कि कार्यवाही को तकनीकी वजहों से रोका गया था और अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन स्वीकार कर ली है, “इस अदालत के पास मूल कार्यवाही बहाल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.”

नतीजतन, विभाग की शिकायत दोबारा अपने शुरुआती स्तर पर बहाल कर दी गई है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 6 अक्टूबर को होगी.

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