
मुंबई के फुटपाथ अब पैदल चलने लायक नहीं बचे, कहीं गड्ढे, कहीं खड़ी गाड़ियां, तो कहीं अतिक्रमण ने इन्हें बेकार बना दिया है. लोखंडवाला में एक मां-बेटी को सड़क पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ा, जहां तेज़ रफ्तार गाड़ी ने उन्हें टक्कर मार दी. सुबह की जॉगिंग हो या रोज़मर्रा का सफर, लोग अब सड़क पर तेज़ रफ्तार वाहनों के बीच जान जोखिम में डालकर चलने को मजबूर हैं.
मुंबई में टूटे-पड़े फुटपाथ, लोग सड़क पर चलने को मजबूर
फुटपाथ मुम्बइकरों के चलने और सुरक्षा के लिए बनाए गए थे, लेकिन अअ ये टूटे, बिखरे, और बेजान पड़े हैं. कहीं कचरे का अंबार तो कहीं नशेड़ियों का अड्डा, तो कहीं प्रेमी जोड़ों का अघोषित कोना बन चुके हैं ये फूटपाथ. टूटे फुटपाथ ये चीख़ रहे हैं कि सुरक्षा पीछे छूट रही है और ज़िम्मेदारी... मानो गुम सी हो गई है, और रइस BMC द्वारा मुंबई के ये फूटपाथ अब बस नाम के रह गए हैं.
मुंबई के टूटे फुटपाथ बन रहे हादसों का सबब
16 मार्च, लोखंडवाला बैक रोड पर एक मां और बेटी तेज़ रफ्तार कार और खड़ी बस के बीच फंसकर गंभीर रूप से घायल हो गईं. वजह ये की फुटपाथ तो था, मगर चलने लायक नहीं. अंधेरी से लेकर बोरिवली तक, एक ओर खड़ी बसें और वैन, दूसरी ओर घने पेड़, बीच में पैदल चलने की जगह ही नहीं बची और जब फुटपाथ ही नहीं रहेगा, तो लोग मजबूरन तेज़ रफ्तार सड़कों पर उतरेंगे, जहां हर कदम जानलेवा साबित हो सकता है.
टूटे फुटपाथ से कितने परेशान मुंबईकर
स्थानीय नागरिक और मार्केटिंग प्रोफेशनल बलराम विश्वकर्मा ने कहा कि लोखंडवाला में जो हादसा हुआ, वो सिर्फ इसीलिए हुआ क्योंकि बाकी फुटपाथ चलने लायक नहीं थे. मां और बेटी मजबूरन सड़क पर चलीं और तेज़ रफ्तार गाड़ी ने उन्हें टक्कर मार दी. ये समस्या सिर्फ एक इलाके की नहीं, बल्कि पूरे शहर की है. हम चाहते हैं कि हमें एक ऐसा फुटपाथ मिले जो सुरक्षित हो, ना कि गलत कामों का अड्डा बनें.
सुबह की ताज़गी और फिटनेस की चाहत लेकर ये लोग मलाड और गोरेगांव की सड़कों पर निकले हैं, लेकिन इनकी असली चुनौती एक्सरसाइज़ नहीं, बल्कि फुटपाथ की बदहाली और सड़कों की असुरक्षा है! टूटे फुटपाथ, खड़ी बसें, और रास्ते को घेरते जंगल, इन सबके बीच ये लोग अपनी सुरक्षा दांव पर लगाकर तेज़ रफ्तार गाड़ियों के बीच चलने को मजबूर हैं.
लोगों ने सुरक्षित फुटपाथ की मांग की
एक शख्स ने कहा कि फुटपाथ पर चलना नामुमकिन हो गया है! एक तरफ गाड़ियां, दूसरी तरफ जंगल—बीच में हमारे लिए कोई जगह ही नहीं और जब लोग मजबूर होकर सड़क पर चलते हैं, तो रेसर्स और बाइकर गैंग्स की तेज़ रफ्तार गाड़ियां हमारी जान को खतरे में डाल देती हैं. इन पर भी सख्त नियम लागू होने चाहिए, और हमें एक सुरक्षित फुटपाथ चाहिए. इतनी बड़ी-बड़ी बसें और गाड़ियां यहाँ पार्क की जाती हैं, जबकि इन्हें पार्किंग ज़ोन में खड़ा किया जाना चाहिए, ना कि सड़कों पर. ये सड़कें इनका घर नहीं हैं, इनके लिए अलग से पार्किंग ज़ोन होना चाहिए.
टूटे फुटपाथों पर क्या बीएमसी ने क्या कुछ कहा
बीएमसी का कहना है कि मुंबई में पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ बाधामुक्त रखने के लिए सख्त कार्रवाई जारी है. अवैध फेरीवाले, अतिक्रमण और बेवारस वाहन हटाए जा रहे हैं, खासकर रेलवे स्टेशनों के पास. अधिकारियों के निर्देश पर विभिन्न विभाग मिलकर यह अभियान चला रहे हैं, और फुटपाथ की सुविधा बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है.
बीएमसी के 2025-2026 के बजट में यूनिवर्सल फुटपाथ पॉलिसी के तहत सुधार का वादा किया गया है. ₹100 करोड़ के प्रावधान के साथ, इस पहल का लक्ष्य मुंबई को अधिक पैदल व दिव्यांग अनुकूल बनाना है. बहरहाल असली चुनौती ये है की 2016 में बनाई गयी से पॉलिसी का असर कब दिखेगा क्या ये नीति वास्तव में बदलाव लाएगी, या फिर मुंबईकरों को असुरक्षित फुटपाथों से जूझना पड़ेगा?
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