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क्या आप जानते हैं एमपी के इस शक्तिपीठ को, जहां मन्नत पूरी होने पर चढ़ाये जाते हैं जूते-चप्पल

नवरात्रि में काफी तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपनी इच्छानुसार मां से मन्नत मांगते हैं. जब मनोकामना पूरी होती है, उसके बाद जूते-चप्पल के अलावा पर्स, घड़ी जैसी चीज़ें भी माता को चढ़ाई जाती हैं.

क्या आप जानते हैं एमपी के इस शक्तिपीठ को, जहां मन्नत पूरी होने पर चढ़ाये जाते हैं जूते-चप्पल
जीजी बाई शक्तिपीठ
  • भोपाल स्थित जीजी बाई शक्ति पीठ मंदिर में भक्त मन्नत पूरी होने पर दुर्गा मां को जूते चप्पल चढ़ाते हैं
  • इस मंदिर में माता की पूजा बच्ची के रूप में की जाती है और भक्त पर्स और घड़ी भी चढ़ाते हैं
  • माता जीजाबाई के दर्शन करने के लिए देश से नहीं विदेशों से भी काफी संख्या में लोग आते हैं
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Madhya Prades:

आप जब कभी भी किसी मंदिर में जाते हैं तो आपको जूते-चप्पल बाहर उतार कर जाना पड़ता है. लेकिन भोपाल के कोलर स्थित एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्तों की मन्नत पूरी होने के बाद दुर्गा मां को जूते चप्पल चढ़ाए जाते हैं. यह मंदिर कोलार स्थित एक पहाड़ी पर है. जहां नवरात्रि में काफी तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपनी इच्छानुसार मां से मन्नत मांगते हैं. इस मंदिर को जीजी बाई शक्ति पीठ से जाना जाता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी बात यह है कि देवी मां की पूजा बच्ची के रूप में होती है.

जूते-चप्पल के अलावा पर्स और घड़ी भी चढ़ाते हैं श्रद्धालु

मंदिर के पुजारी प्रकाश महाराज ने बताया कि इस मंदिर में जूते चप्पल के अलावा पर्स, घड़ी जैसी चीज़ें भी माता को चढ़ाई जाती हैं. जब भी भक्त कोई मनोकामना लेकर मां के दर पर आता है तो वह कुछ भी प्रसाद चढ़ाता है. लेकिन जब मनोकामना पूरी होती है, उसके बाद जूते-चप्पल के अलावा पर्स, घड़ी जैसी चीज़ें भी माता को चढ़ाई जाती हैं. मंदिर के पंडित ओम प्रकाश महाराज ने आगे बताया कि मंदिर की स्थापना से पहले से पार्वती के विवाह का अनुष्ठान कराया गया था. जहां उन्होंने इस विवाह में पार्वती जी का कन्यादान खुद अपने हाथों से किया था. इसलिए माता को अपनी बेटी समझ कर पूजते हैं.

जीजी बाई शक्ति पीठ

जीजी बाई शक्ति पीठ

देश ही नहीं विदेश से दर्शन करने आते हैं लोग

माता जीजाबाई के दर्शन करने के लिए देश से नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं. मंदिर में पूरे साल धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम होते रहते हैं. मंदिर में माता को रोज नई-नई पोशाक पहनाई जाती हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि भक्तों को लगभग 300 सीढ़ी चढ़कर माता के दर्शन करना होता है.

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