बीएसपी सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव शनिवार को एक संयुक्त प्रेस कांन्फ्रेंस करने वाले हैं. माना जा रहा है कि इस दिन दोनों सपा और बीएसपी के गठबंधन का आधिकारिक ऐलान कर देंगे. वहीं एनडीटीवी को सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश की ये दोनों बड़ी पार्टियां 37-37 लोकसभा सीटों पर साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी. अमेठी और रायबरेली की सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी जाएंगी और वहां किसी भी उम्मीदवार को नहीं उतारा जाएगा. इसके बाद जो सीटें बच रही हैं उससे राष्ट्रीय लोकदल और अन्य छोटी पार्टियों के लिए छोड़ा जायेगा. तस्वीर साफ है कि कांग्रेस को इस गठबंधन में अभी जगह नहीं दी गई है जो कि राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका है. वहीं दोनों का वोटशेयर बीजेपी पर भारी पड़ सकता है. इसका नजारा हम गोरखपुर और फूलपुर में हुए लोकसभा चुनाव में देख चुके हैं.
लोकसभा चुनाव में SP-BSP गठबंधन पर कल औपचारिक ऐलान संभव, मायावती-अखिलेश करेंगे तस्वीर साफ
लेकिन इन सब के बीच सवाल इस बात का भी उठता है कि उत्तर प्रदेश की इन दो बड़ी पार्टियों के गठबंधन का चेहरा कौन है, अखिलेश यादव या मायावती. गठबंधन के अंदरूनी समीकरणों पर ध्यान दें तो चौधरी अजित सिंह तीसरे बड़े नेता हैं लेकिन उनका आधार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से ज्यादा नहीं है. लेकिन सपा और बीएसपी का उत्तर प्रदेश में अपना वोटबैंक है. विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी को 39.6% वोट मिले तो सपा और बीएसपी को 22 फीसदी. वहीं, बात करें लोकसभा चुनाव 2014 की तो बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 42.6% वोट मिले थे. सपा को 22 फीसदी और बीएसपी को 20 फीसदी वोट मिले थे लेकिन बीएसपी के खाते में एक भी सीट नहीं आई. बात करें अनुभव की तो बीएसपी सुप्रीम मायावती उत्तर प्रदेश की तीन बार सीएम बन चुके हैं और वह लोकसभा और राज्यसभा की सांसद रह चुकी हैं. वहीं अखिलेश यादव भी उत्तर प्रदेश के सीएम और लोकसभा सांसद रह चुके हैं. मायावती जहां कांशीराम के बाद लगातार बीएसपी की प्रमुख हैं और पार्टी के अंदर उनको चुनौती देने वाला कोई नही हैं. वहीं अखिलेश यादव परिवार के झगड़े के बाद मुलायम सिंह यादव को हटाकर सपा अध्यक्ष बने हैं.
जब मायावती को पसंदीदा आइसक्रीम खिलाकर अखिलेश यादव ने 'गठबंधन' को दिया अंतिम रूप
बात करें तो सीटों की तो लोकसभ में अभी समाजवादी पार्टी के 7 सांसद हैं और वहीं बात करें उत्तर प्रदेश विधानसभा की तो समाजवादी पार्टी के पास विधानसभा में 48 विधायक हैं और बीएसपी के पास 19 विधायक हैं. वहीं बीएसपी के राज्यसभा में 4 सांसद हैं और समाजवादी पार्टी के 11 सांसद हैं. इस हिसाब से बात करें तो समाजवादी पार्टी, बीएसपी से बहुत ज्यादा मजबूत है. अखिलेश यादव इस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को पोस्टर ब्वॉय भी हैं. लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या मायावती, अखिलेश यादव को अपना नेता मानेंगी, या फिर बीजेपी को किसी भी कीमत में हारने के लिए अखिलेश यादव दो कदम और पीछे जाने को तैयार हो जाएंगे.
सिंपल समाचार : क्या सपा-बसपा का साथ बीजेपी को देगा मात?
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं