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This Article is From Jan 12, 2019

यूपी में गठबंधन के बाद किस सीट पर कौन लड़ेगा ? मायावती के जन्मदिन पर होगा फैसला!

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के लिये सपा बसपा गठबंधन की शनिवार को औपचारिक घोषणा के बाद दोनों दलों के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मायावती अगले एक सप्ताह में यह तय कर लेंगे कि कौन किस सीट पर चुनाव लड़ेगा.

यूपी में गठबंधन के बाद किस सीट पर कौन लड़ेगा ? मायावती के जन्मदिन पर होगा फैसला!
बसपा मुखिय मायावती और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की फाइल फोटो.
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के लिये सपा बसपा गठबंधन की शनिवार को औपचारिक घोषणा के बाद दोनों दलों के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मायावती अगले एक सप्ताह में यह तय कर लेंगे कि कौन किस सीट पर चुनाव लड़ेगा. साथ ही दोनों दल साझा चुनाव अभियान की भी रूपरेखा जल्द तय कर लेंगे. गठबंधन की रूपरेखा से जुड़े सपा के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि दोनों दलों के बीच बटवारे वाली सीटों पर आपसी सहमति लगभग बन गयी है. इसकी सार्वजनिक घोषणा बसपा प्रमुख मायावती के 15 जनवरी को जन्मदिन के मौके पर या इसके एक दो दिन के भीतर कर दी जायेगी. इससे पार्टी कार्यकर्ता समय रहते चुनावी तैयारियों में जुट सकेंगे. प्रचार अभियान का आगाज अखिलेश और मायावती की उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में साझा रैलियों से होगा. बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इसकी शुरुआत लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी और प्रयाग सहित अन्य प्रमुख शहरों से होगी. उन्होंने बताया कि दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व चुनाव प्रचार अभियान को जल्द अंतिम रूप देकर रैलियों की जगह और समय का निर्धारण करेंगे.

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गठबंधन में रालोद की सीटों को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं होने के बारे में सपा के एक नेता ने बताया कि कांग्रेस के लिये छोड़ी गयी दो सीटों के अलावा रालोद के लिये फिलहाल दो सीट छोड़ गयी है लेकिन यह अंतिम आंकड़ा नहीं है. रालोद नेताओं के साथ बातचीत और जमीनी वास्तविकता को ध्यान में रखते हुये सपा-बसपा अपने कोटे की अधिकतम एक या दो सीट छोड़ने पर विचार कर सकते हैं. उल्लेखनीय है कि लखनऊ में शनिवार को अखिलेश और मायावती ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर सपा बसपा गठबंधन की औपचारिक घोषणा की. इस दौरान मायावती ने गठबंधन से कांग्रेस को अलग रखने की जानकारी देते हुये इस बात का स्पष्ट संकेत दिया कि यह फैसला सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा के पक्ष में कांग्रेस के मतों का ध्रुवीकरण रोकने के लिये किया गया है. (इनपुट-भाषा)

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