एएमएमके के टीटीवी दिनाकरन.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के नतीजे आने के बाद विपक्षी दल ईवीएम पर सवाल उठाने लगे हैं. पहले बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने सवाल खड़े करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को विपक्षी दलों की मांग पर विचार करना चाहिए. अब एएमएमके के टीटीवी दिनाकरन ने ईवीएम (EVM) को लेकर निशाना साधा है, हालांकि, उन्होंने ईवीएम का नाम नहीं लिया है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा, 'यह बहुत अजीब बात है कि हमारे कई समर्थकों ने हमारी पार्टी को वोट दिया था, लेकिन उनके वोट पंजीकृत नहीं हुए, ऐसे उदाहरण हैं जहां हमारी पार्टी के लिए कोई वोट नहीं डाला गया. यह कैसे संभव हो सकता है? चुनाव आयोग को स्पष्ट करना होगा. मैं अदालत में नहीं जा सकता क्योंकि मेरे पास कोई सबूत नहीं है.'
साथ ही उन्होंने कहा, 'हम बूथों की जानकारी इकट्ठी एकत्र कर रहे हैं और इसके बाद चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करेंगे.'
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बता दें, बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने चुनाव परिणाम आने के बाद ईवीएम को लेकर हमला बोलते हुये कहा था कि जनता का विश्वास इससे हट गया है. उन्होंने कहा कि गठबंधन ने जो सीटें उप्र में जीती हैं वहां इन लोगों ने ईवीएम में गड़बड़ी नहीं कराई ताकि जनता को शक न हो. साथ ही उन्होंने कहा कि गठबंधन की पार्टियों बसपा, सपा और रालोद के सभी छोटे बड़े कार्यकर्ताओं ने पूरे तन-मन-धन से मेहनत और लगन से लगातार काम किया है. सभी का आभार प्रकट करती हूं खासकर सपा के प्रमुख अखिलेश यादव, रालोद के अजित सिंह ने अपनी पूरी ईमानदारी से काम किया है.
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मायावती ने चुनाव के परिणाम आने के बाद शाम को मीडिया से कहा, 'देश के राजनीतिक इतिहास में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे हैं समाज के दलित उपेक्षित वर्गों की सत्ता में भागीदारी भी बढ़ी है लेकिन इसे भी अब ईवीएम के माध्यम से सत्ताधारी पार्टी (भाजपा एंड कंपनी) ने पूरे तौर से हाईजैक कर लिया है.' उन्होंने कहा, 'ईवीएम से चुनाव कराने की यह कैसी व्यवस्था है जिसमें अनेकों प्रमाण हमारे सामने आये हैं इसलिये पूरे देश में ईवीएम का लगातार विरोध हो रहा है, और आज आये नतीजों के बाद से तो जनता का इस पर से काफी कुछ विश्वास ही खत्म हो जायेगा. जबकि इस मामले में देश की अधिकतर पार्टियों का चुनाव आयोग में यह कहना रहा है कि ईवीएम के बजाये बैलट पेपर से चुनाव करायें. चुनाव आयोग और बीजेपी को इस पर आपत्ति क्यों होती है. न तो चुनाव आयोग तैयार है और न ही भाजपा मानने को तैयार है तो इसका मतलब कुछ तो गड़बड़ है.'
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साथ ही मायावती ने कहा था, ‘जब मतपत्र की व्यवस्था नहीं है तो जनता ईवीएम में वोट डालती है लेकिन जनता इससे संतुष्ट नहीं है. आज पूरे देश में जनता यह देख रही है और मुझे नहीं लगता कि जिस तरीके के नतीजे देश में आये हैं वह लोगों के गले से नहीं उतर रहा है. अधिकतर सभी पार्टियां चुनाव आयोग से लगातार कह रही हैं कि वह ईवीएम के बजाये मतपत्र से चुनाव करायें तो फिर चुनाव आयोग और भाजपा को इस पर आपत्ति क्यों हो रही है. जब कोई गड़बड़ नहीं है, दिल में कोई काला नहीं है तो क्यों नही मतपत्र से चुनाव कराये जा रहे हैं.'
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उन्होंने कहा, ‘चुनावों मतपत्र से कराये जाने की मांग पर माननीय सुप्रीम कोर्ट को भी गंभीरता से विचार करना चाहिए, ऐसी हमारी माननीय सुप्रीम कोर्ट से भी पुरजोर मांग है.' अपने गठबंधन के एक रहने का संदेश देते हुये मायावती ने कहा, 'देश में अप्रत्याशित परिणामों के बारे मे आगामी रणनीति बनाने के लिये हमारे गठबंधन बसपा-सपा और रालोद तथा हमारी तरह पीड़ित अन्य पार्टियों के साथ भी मिलकर आगे की रणनीति तय की जायेगी . ऐसा नहीं कि हम चुप बैठ जायेंगे . बीजेपी के पक्ष में आये अप्रत्याशित चुनावी परिणाम पूरी तरह से आम जनता के गले के नीचे से नही उतर पा रहे है.'
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