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This Article is From Apr 25, 2019

क्या महिला वोटर एक बार फिर बिहार में एनडीए की ‘लहर‘ का मुख्य कारण?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कारण एनडीए के उम्मीदवारों को महिला मतदाताओं के वोट मिल रहे, बिहार में बढ़चढ़कर वोट डाल रहीं महिलाएं

क्या महिला वोटर एक बार फिर बिहार में एनडीए की ‘लहर‘ का मुख्य कारण?
प्रतीकात्मक फोटो.
पटना:

बिहार में तीन चरण के चुनाव संपन्न हो चुके हैं. इन तीन चरणों के बाद जहां महागठबंधन के नेता अधिकांश सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं वहीं एनडीए नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक साथ आने के बाद पूरे राज्य में ‘लहर‘ की स्थिति बनी हुई है. जमीनी हकीकत को देखने पर एक बात साफ है कि मतदाताओं में भले एनडीए के स्थानीय सांसद को लेकर आक्रोश हो लेकिन मोदी के चेहरे पर वे सब कुछ नजरअंदाज़ करने के लिए तैयार हैं. लेकिन इससे भी ज़्यादा महिला वोटरों का टर्नआउट चौंकाने वाला है. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के कारण एनडीए के उम्मीदवारों को उनके अधिकांश वोट मिल रहे हैं.

चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बिहार में जिन 14 लोकसभा क्षेत्रों में मतदान हुआ है उसमें गया एक मात्र संसदीय सीट है जहां पुरुष मतदाताओं का मतदान महिलाओं से ज्यादा रहा है. आंकड़ों के अनुसार पहले चरण में जिन चार संसदीय क्षेत्रों औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई में मतदान हुआ था उसमें गया को छोड़कर तीनों लोकसभा क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक थी. हालांकि दोनों के बीच अंतर बहुत ज़्यादा नहीं था. औरंगाबाद के इमामगंज, गया की भारत छठी और जमुई के चकाई में और झाझा विधानसभा क्षेत्रों में यह अंतर करीब 5 प्रतिशत रहा.

दूसरे चरण में जिन पांच संसदीय क्षेत्रों, जिसमें किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका शामिल हैं, में महिला मतदाताओं का मतदान पुरुषों से बेहतर था. जहां भागलपुर में ये अंतर करीब एक प्रतिशत तथा वहीं पाता में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से 5 प्रतिशत, पूर्णिया में करीब छह प्रतिशत और किशनगज में आठ प्रतिशत के करीब यह अंतर रहा.

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किशनगंज के अमौर विधानसभा क्षेत्र में यह अंतर करीब 9 प्रतिशत का तो प्यासी विधानसभा में 12% महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं से अधिक वोट दिए. कटिहार के रामपुर में जहां पुरुष मतदाताओं ने 63 प्रतिशत वोट डाले वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 76 प्रतिशत रही. इसी संसदीय क्षेत्र में बलरामपुर में महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं से 16% अधिक वोट डाले.

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तीसरे चरण में जिन पांच संसदीय क्षेत्रों झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खगड़िया में वोट डाले गए उसमें भी जहां सुपौल में महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं से अधिक वोट डाले. झंझारपुर में करीब 12 प्रतिशत महिला मतदाताओं का वोट पुरुष मतदाताओं से अधिक था. वहीं अररिया में यह क़रीब 9% पुरुष मतदाताओं से अधिक था. मधेपुरा में करीब 9 % अधिक था. वही खगड़िया में यह अंतर करीब 10 प्रतिशत का रहा.

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अधिकांश राजनीतिक दलों का कहना है कि महिला मतदाताओं का रुझान जनता दल यूनाइटेड की तरफ़ ज़्यादा होता है और चूंकि इस बार वो BJP के साथ हैं तो इनकी उम्मीदवारों को इसका एक लाभ ज़रूर मिलेगा. वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि ऐसा इसलिए है कि अधिकांश पुरुष ख़ासकर ग़रीब तबके के मज़दूर अभी पंजाब में कटाई के कारण वहां पलायन कर चुके हैं इसलिए हर क्षेत्र में महिला मतदाताओं का दबदबा दिख रहा है.

जेडीयू के नेता संजय सिंह का कहना है कि महिला मतदाताओं की संख्या अधिक होता है तो वह आरजेडी के विरोध में और नीतीश के समर्थन में होती हैं. इस पर आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने कहा कि यह बहुत ज्यादा जल्दबाजी में कहा जा रहा है. अधिक पिछड़े समुदाय के लोग पंजाब-हरियाणा में कटाई का मौसम होने के कारण वहां रोजगार के लिए पलायन कर गए हैं. फिर आप कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं आरजेडी को नहीं एनडीए को ही वोट दे रही हैं.

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