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This Article is From Apr 10, 2019

किरोड़ी सिंह बैंसला बेटे के साथ हुए बीजेपी में शामिल, राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन से जुड़े थे

किरोड़ी सिंह बैंसला बेटे के साथ हुए बीजेपी में शामिल, राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन से जुड़े थे

Gurjar leader Kirori Singh Bainsla joins BJP: किरोड़ी सिंह बैंसला बीजेपी में हुए शामिल

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले नेताओं का राजनीतिक पार्टियों में शामिल होने का सिलसिला जारी है. गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला बुधवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की मौजूदगी में किरोडी सिंह बैंसला अपने बेटे के साथ बीजेपी में शामिल हुए. बता दें कि बैंसला राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन से जुड़े रहे हैं. इस लोकसभा चुनाव में वह कहीं से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे या नहीं, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है. 

गुर्जर आंदोलन के जनक कर्नल (रिटा) करोड़ी सिंह बैंसला और उनके बेटे बिजय सिंह बैंसला बीजेपी में शामिल हो गए. आज सुबह कर्नल बैंसला ने अमित शाह से मुलाकात की. इससे पहले भी वह 2009 में भी बीजेपी में शामिल हुए थे. इस बार कर्नल बैंसला ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर हर सरकार से काम करवाने होते हैं लेकिन इस बार उनका मन और ह्रदय दोनों बीजेपी के साथ है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अंदर जो गुण है वो किसी के अंदर नहीं है. इसलिए उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की सोची. 

कर्नल केएस बैंसला का जन्म पूर्वी राजस्थन के करौली ज़िले के एक छोटे से गांव में हुआ है. वे बचपन से ही काफी कुशाग्र रहे हैं. इसलिए माता-पिता ने उन्हें करोड़ों में से एक नाम दिया किरोड़ी. वे जाति से बैंसला हैं यानि गुर्जर. बचपन में काफी कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी. अपने शुरुआती दिनों में वो शिक्षक के तौर पर काम किया करते थे, लेकिन पिता के फौज में होने के कारण वे भी फौज में शामिल हो गए और सिपाही बन गए.

कर्नल बैंसला ने 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी अपनी बहादुरी का जौहर दिखाया. वे राजपूताना राइफल्स में थे और पाकिस्तान के युद्धबंदी भी रहे. उनके सीनियर्स उन्हें 'जिब्राल्टर का चट्टान' कहते थे और साथी कमांडो 'इंडियन रेम्बो' कहा करते थे. उनकी बहादुरी और कुशाग्रता का ही नतीजा था कि वे सेना में एक मामूली सिपाही से तरक्की पाते हुए कर्नल के रैंक तक पहुंचे और फिर रिटायर हुए.   

'सार्वजनिक जीवन में कदम'
देश की सेवा के बाद कर्नल बैंसला ने अपने जीवन में दूसरी बड़ी लड़ाई लड़ी अपने गुर्जर समुदाय के लिए. सार्वजनिक जीवन में आने के बाद उन्होंने गुर्जर आरक्षण समिति की अगुवाई की. गुर्जरों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के लिए रेल और सड़क मार्ग जाम करने लगे. आरक्षण के लिए उनका आंदोलन इतना तेज़ चला कि अदालत को बीच में हस्तक्षेप करना पड़ा. ऐसा माना जाता है कि राजस्थान में बीजेपी सरकार के पतन की एक बड़ी वजह गुर्जर आंदोलन ही था.

बार-बार सड़क और रेलमार्ग जाम करने के कारण कई बार उनकी आलोचना भी हुई, उनके विरोधियों ने उनपर सिरफिरा होने और लोगों को भटकाने का भी आरोप लगाया, लेकिन बैंसला डिगे नहीं और लगातार आंदोलन करते रहे. उनके द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन में अब तक 72 लोगों की जानें जा चुकी हैं.

'वंचितों को हक़'
बैंसला का कहना है कि राजस्थान के ही मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला हुआ है ,जिससे उन्हें सरकारी नौकरी में अच्छा-ख़ासा प्रतिनिधित्व मिला हुआ है, जबकि उतने ही बड़े गुर्जर समुदाय को आजतक इस हक़ से वंचित रखा गया है, जो इस समुदाय की तरक्की में बाधक है. बैंसला के मुताबिक उनके जीवन में जिन दो लोगों ने अमिट छाप छोड़ी है, उनमें मुग़ल शासक बाबर और अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन हैं.

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