लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के अंतिम रुझान आने शुरू हो चुके हैं और इनमें भाजपा (BJP) दोबारा देश में सरकार बनाती नज़र आ रही है. जहां अलग-अलग राज्यों में आंकड़े भिन्न हैं, वहीं बिहार (Bihar) में कांग्रेस (Congress) का सूपड़ा साफ होता दिखाई दे रहा है. पटना साहिब लोकसभा सीट (Lok Sabha Election) से शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) पिछड़ते नजर आ रहे हैं. पटना साहिब (Patna Sahib) सीट से शॉटगन के मुकाबले में कद्दावर नेता भाजपा के रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) हैं. तकरीबन 28 साल बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की और अब वह लोकसभा चुनाव में खामोश दिखाई दे रहे हैं. बता दें कि बिहार में 40 लोकसभा सीटों में 36 पर भाजपा आगे चल रही है.
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बता दें, बॉलीवुड में शानदार पारी खेलने के बाद राजनीति में नाबाद पारी खेल रहे शत्रुघ्न सिन्हा का अब तक का सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. करीब 28 साल तक बीजेपी के साथ रहने वाले शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) 2019 के आम चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस में शामिल होने से पहले शॉटगन को बीजेपी का 'शत्रु' करार दे दिया गया था. शत्रुघ्न सिन्हा ने पार्टी में रहते हुए कई मुद्दों को लेकर आलाकमानों पर निशाना साधा, जिसकी वजह से शत्रुघ्न सिन्हा समय बीतने के साथ साइड लाइन होते चले गए. शत्रुघ्न सिन्हा फिल्मों में रहे या फिर राजनीति में, अपनी मुखरता के लिए जाने जाते रहे हैं.
1991 में लाल कृष्ण आडवाणी ने गांधी नगर और दिल्ली, दो सीटों से चुनाव लड़े और जीते भी. एल के आडवाणी ने दिल्ली सीट छोड़ दी और वहां से 1992 में उपचुनावों में शत्रुघ्न सिन्हा को मौका मिला. शत्रुघ्न के सामने थे बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना. दिलचस्प मुकाबले में शत्रुघ्न सिन्हा ने राजेश खन्ना को मामूली अंतर से हरा दिया. एक इंटरव्यू में शत्रुघ्न सिन्हा ने बताया था कि उनके दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने से राजेश खन्ना नाराज हो गए थे और इस बात का उन्हें हमेशा अफसोस रहेगा. इस चुनाव के बाद शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल हो गए. कुछ ही दिनों में वह अटल बिहारी वाजपेयी और एल के आडवाणी जैसे नेताओं के करीबी हो गए और इसका फायदा उन्हें कई मौकों पर मिला. 1996 में बीजेपी ने शत्रु को राज्यसभा को भेजा. एक कार्यकाल पूरा होने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा को दोबारा राज्यसभा भेजा गया.
अटल बिहारी वाजपेयी के विश्वस्त लोगों में शामिल रहे शत्रुघ्न को 2002 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनाया गया. 2003 में उन्हें जहाजरानी मंत्री भी बनाया गया था. 2009 में लाल कृष्ण आडवाणी ने उन्हें बिहार की पटना साहिब सीट से उतारा जहां से शत्रुघ्नने जबरदस्त जीत हासिल की. इसके बाद 2014 में उन्हें फिर से इसी सीट से टिकट दिया गया. यहां से उन्हें जीत मिली. कहते हैं कि इस सीट से रविशंकर प्रसाद चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. चुनाव जीतने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा को उम्मीद थी कि वह मंत्री बनेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यहीं से शुरू हुई शत्रुघ्न सिन्हा की नाराजगी. दूसरी तरफ उनको प्रदेश स्तर पर अनदेखा किया जाने लगा और ये नाराजगी बगावत के रूप में बदल गई. धीरे-धीरे शत्रुघ्न की नाराजगी को अन्य पार्टियों ने भुनाने की कोशिश की और वो कामयाब भी होते चले गए. आखिर में उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और पटना साहिब से उनका टिकट काट दिया गया. इसके बाद शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें पटना साहिब से उम्मीदवार बनाए गए.
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