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This Article is From Dec 17, 2016

तानसेन समारोह में उस्‍तादों ने छेड़े राग, मंत्रमुग्ध हुए लोग

तानसेन समारोह में उस्‍तादों ने छेड़े राग, मंत्रमुग्ध हुए लोग
ग्‍वालियर: मध्‍य प्रदेश के ग्‍वालियर स्थित तानसेन समाधि स्थल पर परंपरागत ढंग से शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन हुआ. सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में पिछले 92 वर्ष से आयोजित हो रहे तानसेन समारोह में किले पर स्थित सहस्त्रबाहू मंदिर की थीम पर तानसेन समाधि परिसर में बने भव्य एवं आकर्षक मंच से नाद ब्रम्ह के शीर्षस्थ साधक इस साल सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित कर रहे हैं. समारोह की दूसरी सभा का आगाज पारंपरिक ढंग से शंकर गान्धर्व संगीत महाविद्यालय द्वारा प्रस्तुत ध्रुुपद गायन से हुआ.

तानसेन समाधि स्थल पर परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खां ने राग गूजरी तोड़ी में शहनाई वादन किया. इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत सच्चिदानंद नाथ ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तो को उजागर किया. उन्होंने कहा कि अल्लाह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम, खुदा और देव सब एक हैं. हर मनुष्य में ईश्वर विद्यमान है. हम सब ईश्वर की सन्तान हैं तथा ईश्वर के अंश भी हैं.

कोलकता से आईं किराना घराने की गायिका शाश्वती बागची ने अपनी मधुर आवाज में राग गुर्जरी तोड़ी से अपने गायन की शुरुआत की. उन्होंने विलंबबित एक ताल में बंदिश जा जा रे पथिकवा का गायन किया और छोटा ख्याल द्रुत में मानो मानो मोरी बात सुनाया. इनके साथ तबला पर श्री विश्वजीत देवए सारंगी पर उस्ताद मुन्ने खां और हारमोनियम पर जनाब जाकिर धौलपुरी ने संगत की.

हजरत मौहम्मद गौस और तानसेन की मजार पर जनाब कामिल हजरत जी द्वारा परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई. इससे पहले जनाब भोलू झनकार सहित मुस्लिम समुदाय के अन्य गणमान्य नागरिक कब्बाली गाते हुये चादर लेकर पहुंचे. एक कव्वाली के बोल थे 'खास दरबार-ए-मौहम्मद से ये आई चादर'. राज्य शासन के संस्कृति विभाग, उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी एवं मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के तत्वावधान में 'तानसेन समारोह' इस बार 16 से 20 दिसम्बर तक आयोजित हो रहा है.

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