वह भी क्या देही है, तिल-सी?
प्राणों की रिलमिल झिलमिल-सी.
दिनभर में वह मीलों चलती,
अथक कार्य से कभी न टलती.
भूरे बालों की सी कतरन,
छुपा नहीं उसका छोटापन,
वह समस्त पृथ्वी पर निर्भर
विचरण करती, श्रम में तन्मय
वह जीवन की तिनगी अक्षय.
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