ये किस्‍सागोई है जनाब, कागज पर नहीं तो इंटरनेट पर ही सही, पर ये रुकेगी नहीं...

ये किस्‍सागोई है जनाब, कागज पर नहीं तो इंटरनेट पर ही सही, पर ये रुकेगी नहीं...

क्‍या आप पुस्‍तक प्रेमी हैं और आपको लगता है कि इंटरनेट के बढ़ते चलन से पुस्‍तकों को खतरा है... तो यह खबर यकीनन आपको अच्‍छी लगेगी.

जीवन की आपाधापी, सिकुड़ते वक्त और किताबों के अस्तित्व पर मंडराते खतरे की चर्चा के बीच इंटरनेट पर हिन्दी साहित्य की कालजयी और भूली बिसरी कृतियों को आडियो स्वरूप में डालकर प्रौद्योगिकी की मदद से किस्सागोई की नयी पहल हो रही है. इनमें प्रेमचंद, चंद्रधरशर्मा गुलेरी, सुदर्शन से लेकर कमलेश्वर, स्वयं प्रकाश और आधुनिक कहानीकारों की रचनाएं शामिल हैं.

अमेरिका में रहने वाले अनुराग शर्मा जो खुद कहानीकार हैं और पिछले कुछ सालों से ऐसे ही प्रयासों में संलग्न हैं. उन्होंने प्रेमचंद, भीष्म साहनी सहित कई हिन्दी रचनाकारों की 250 से ज्यादा कहानियों के आडियो स्वरूप को आर्काइव डाट काम और दूसरे प्लेटफार्म पर डाला है. इन कहानियों को कोई भी व्यक्ति सुन सकता है और डाउनलोड भी कर सकता है. उन्होंने बताया कि कहानियों के इन आडियो संस्करण पर अच्छी प्रतिक्रिया मिली है.

अनुराग ने कहा कि वाचिक परम्परा बीच-बीच में टूटती है. किन्तु यही परंपरा पुल भी बनाती है. मसलन, विदेश में पाकिस्तान के पाठक हिन्दी साहित्य और हिन्दी के पाठक उर्दू साहित्य को लिपि बाधा के कारण प्राय: पढ़ने में दिक्कत महसूस करते हैं. पर यदि इन भाषाओं के साहित्य को वे जब आडियो स्वरूप में सुनते हैं तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती.

उन्होंने बताया कि पुरानी कहानियों को सुनने के साथ इनके बारे में जानने की इच्छा पैदा होती है. मिसाल के तौर पर ‘‘हार की जीत’’ जैसी प्रसिद्ध कहानी के लेखक सुदर्शन के बारे में हम नहीं के बराबर जानते हैं.

आडियो संस्करण के मामले में अनुराग शर्मा का सबसे बड़ा प्रयास विनोबा भावे के गीता प्रवचन को आडियो स्वरूप में डालना है. इस पूरी पुस्तक की कुल आठ घंटे की रिकार्डिंग है. अनुराग ने बताया कि वह अब जल्द कुछ पुस्तकों को आडियो स्वरूप में डालने की योजना बना रहे हैं. उनका यह भी मन है कि हिन्दी की अन्य प्रख्यात कहानियों को भी आडियो स्वरूप में इंटरनेट पर डाला जाए.

कहानीकार स्वयं प्रकाश भी इस बात से सहमत हैं कि कहानियों के आडियो स्वरूप को इंटरनेट पर डालने से इनकी लोकप्रियता में विस्तार होगा. उन्होंने कहा कि हमारे यहां किस्सागोई की परपंरा है. कहानी को यदि सुनाया जाए तो इसकी संप्रेषणीयता बढ़ती है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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