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दुनिया के किस देश में सबसे महंगा और कहां सबसे सस्ता है इंटरनेट? जान लीजिए जवाब

डिजिटल 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, इस समय दुनिया में 5.56 अरब से ज्यादा लोग इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे हैं. यानी दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी ऑनलाइन है. लेकिन इंटरनेट की स्पीड और कीमत हर देश में अलग है.

दुनिया के किस देश में सबसे महंगा और कहां सबसे सस्ता है इंटरनेट? जान लीजिए जवाब
सबसे महंगा और सस्ता इंटरनेट

Internet Price in World 2025: आज इंटरनेट सिर्फ जरूरत नहीं, हमारी लाइफ का हिस्सा है. पढ़ाई, काम, एंटरटेनमेंट, बैंकिंग, शॉपिंग… सब कुछ ऑनलाइन है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम इंटरनेट के लिए जो पैसे देते हैं, क्या दुनिया में बाकी लोग भी उतना ही दे रहे हैं? जवाब है नहीं, क्योंकि दुनिया में कुछ जगहों पर इंटरनेट बहुत सस्ता है, जबकि कुछ देशों में इसे खरीदना जेब पर भारी पड़ता है. डिजिटल 2025 (Digital 2025) की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में इंटरनेट की कीमतों में इतना अंतर है कि जानकर हैरान हो जाएंगे. आइए जानते हैं 2025 में दुनिया के किस देश में सबसे महंगा और कहां सबसे सस्ता इंटरनेट है.

सबसे महंगा इंटरनेट किस देश में है

डिजिटल 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) इस समय दुनिया में सबसे महंगे इंटरनेट वाला देश है. यहां फिक्स्ड ब्रॉडबैंड की औसत कीमत करीब 4.31 डॉलर प्रति Mbps पड़ती है. इसका मतलब अगर आपको तेज स्पीड चाहिए, तो जेब जरूर ढीली करनी पड़ेगी. ऐसा नहीं कि वहां इंटरनेट खराब है, बल्कि हाई-टेक नेटवर्क और सर्विस क्वालिटी पर ज्यादा खर्च होने की वजह से रेट भी ज्यादा रखे जाते हैं. UAE के बाद घाना, स्विट्जरलैंड, केन्या और मोरक्को जैसे देश भी महंगे इंटरनेट की लिस्ट में आते हैं.

किस देश में सबसे सस्ता इंटरनेट मिलता है

अगर हम सबसे सस्ते इंटरनेट की बात करें, तो पूर्वी यूरोप के देश इसमें आते हैं. रोमानिया, रूस, पोलैंड, वियतनाम, चीन और दक्षिण कोरिया ऐसे देश हैं, जहां बहुत कम दाम में बहुत तेज इंटरनेट मिल जाता है. रोमानिया में इंटरनेट की कीमत करीब 0.01 डॉलर per Mbps है. रूस में 0.02 डॉलर, पोलैंड 0.03 डॉलर प्रति Mbps है.

भारत में इंटरनेट सस्ता है या महंगा

भारत दुनिया में इंटरनेट कीमतों के मामले में 41वें स्थान पर है. यहां 90 करोड़ से ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. अपने देश में 1 एमबीपीएस का खर्च लगभग 0.08 डॉलर है. इसका कारण मजबूत फाइबर नेटवर्क, हाई कम्पटीशन और टेक्नोलॉजी में ज्यादा निवेश है.

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