
Karwa Chauth: किसी भी सुहागिन महिला के लिए करवा चौथ का दिन बहुत खास होता है, इस दिन वो अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और चांद निकलने के बाद उसकी पूजा करके ही व्रत का पारण किया जाता है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि करवा चौथ के दिन चांद की ही पूजा क्यों की जाती है और चांद निकलने के बाद ही महिलाएं व्रत क्यों खोलती हैं? आइए आज हम जानते हैं इसके पीछे की वजह (Why Moon Is Worshipped On Karva Chauth) के बारे में कि क्यों करवा चौथ पर चांद को देखकर ही व्रत खोला जाता है.
करवा चौथ में चांद का महत्व
हिंदू धर्म में चंद्रमा को एक दिव्य शक्ति के रूप में माना जाता है और चंद्रमा मन की शांति, सुकून और स्थिरता का प्रतीक होता है. कहते हैं कि करवा चौथ के दिन व्रत करने के बाद अगर चंद्रमा की पूजा की जाती है, तो इससे व्रत करने वाली महिला और उनके परिवार को मन की शांति मिलती है. इतना ही नहीं करवा चौथ के चांद को वैवाहिक जीवन में समृद्धि लाने का प्रतीक माना जाता है, कहते हैं कि चंद्रमा की पूजा करने से पति की उम्र लंबी होती है, साथ ही परिवार में सुख और शांति बनी रहती है और धन की कमी भी नहीं होती है.
करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा करने की एक मान्यता ये भी कहती है कि चंद्रमा शाश्वत चक्र और पुनर्जन्म से जुड़ा है, इसलिए महिलाएं इसे अखंड सौभाग्य का प्रतीक मानकर इस दिन चंद्रमा की पूजा करके ही व्रत का पारण करती हैं.
अगर आपके मन में भी सवाल है कि करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा क्यों की जाती है, सूर्य की क्यों नहीं, तो हिंदू परंपराओं के अनुसार सूर्य को शक्तिशाली देवता के रूप में माना जाता है. ये व्रत सूर्योदय से शुरू होता है क्योंकि व्रत पहले से ही उगते सूरत से जुड़ा हुआ है, इसलिए सूर्यास्त के समय ही व्रत का पारण किया जाता है.
गणेश भगवान से जुड़ी हुई है मान्यता
एक अन्य मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि भगवान श्री गणेश ने एक बार चंद्रमा को श्राप दिया था, उन्होंने कहा था कि जो कोई भी उसे सीधा देखेगा उसे कलंक और दोष का सामना करना पड़ेगा, इसलिए करवा चौथ के दिन महिलाएं छलनी से चांद को देखती हैं और फिर अपने पति का चेहरा देखकर व्रत का पारण करती हैं.
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