
धरती पर मौजूद हर जीव-जंतु और कीट-पतंगे का अपना महत्व है. ये सब प्रकृति और जलवायु के आधार पर ही पैदा होते हैं और उसी के आधार पर दम भी तोड़ देते हैं. आसमान, धरती और पानी में कई ऐसे जीव हैं, जिनकी लाइफ सेकंड भर की है, लेकिन इनका होना वैश्विक पर्यावरण के लिए कितना जरूरी है, आइए समझते हैं. इस दुनिया में हर सजीव-निर्जीव अपने आप में अहम है और इससे प्रकृति और पर्यावरण को भी खूब फायदा मिलता है. बात करेंगे हम उन जीव-जंतुओं की, जो असल में प्राकृतिक पर्यावरण के सच्चे और रियल इंजीनियर हैं. कैसे, चलिए जानते हैं.
एशियाई हाथी
इकोसिस्टम का इंजीनियर एशियाई हाथियों को कहा जाता है, क्योंकि खाने और पानी की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह घूमने के दौरान वे हजारों पेड़ों, औषधियों, झाड़ियों, कीड़ों और उनसे जुड़े जीवन चक्र को बढ़ाने में मददगार हैं.
भारतीय बया पक्षी
इन पक्षियों में नर पक्षी घास के तिनके-तिनके और पत्तियों को जुटाकर एक खूबसूरत लटकता हुआ घोंसला बनाते हैं. इसमें आने-जाने के लिए हवा और खिड़की-दरवाजे भी होते हैं. साथ ही शिकारी से बचने का भी सिस्टम होता है.
भारतीय दीमक
दीमक को लेकर कहा जाता है कि यह लकड़ियों का दुश्मन हैं. ये उन्हें खाकर खोखला बना देते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दीमक लकड़ी, मिट्टी, लार और मल को मिलाकर प्राकृतिक सीमेंट भी बनाते हैं. यह टीले नेचुरल एयर कंडीशनर रूम की तरह होते हैं. इमें आपको सुरंग, कमरे, वेंट्स और भी कई चीजें दिखेंगी. ये गर्मी में भी बहुत ठंडे रहते हैं.
भारतीय मधुमक्खी
प्रकृति में मधुमक्खी भी कमाल की इंजीनियर हैं. वो षट्भुज आकार के छत्ते बनाती हैं, जिनमें गहरा विज्ञान छिपा है. इन छत्तों को तय तापमान में रखा जाता है. इसके आकार के चलते में इसमें ज्यादा से ज्यादा शहद रखा जाता है. आपको बता दें, पशु-पक्षियों के आकार और रंग रूप को देखकर ही इंसान के रोजमर्रा के इस्तेमाल की कई चीजों को बनाया जाता रहा है.
भारतीय चींटियां
इंजीनियरिंग और हौसलों के मामलों में चीटियों से बड़ा कोई इंजीनियर नहीं है. ये पूरी कॉलोनी और फौज बनाने के लिए मशहूर हैं. इनके किलों में खाने की स्टोरेज, सुरंगे, अंडों के लिए कमरे और हवा के लिए वेंटिलेशन भी होते हैं. चींटियों का टीम वर्क सबसे अलग है और इनकी इंजीनियरिंग का कोई जवाब नहीं है.
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