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Bihar Election: आखिर AIMIM को एक भी सीट क्यों नहीं देना चाहते तेजस्वी? ओवैसी को अब लालू से उम्मीद, समझें समीकरण

Bihar Assembly Elections 2025: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM बिहार विधानसभा चुनाव में RJD, कांग्रेस की महागठबंधन में शामिल होना चाहती है. लेकिन तेजस्वी यादव ओवैसी की पार्टी को एक भी सीट देने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं. आखिर इसकी वजह क्या है, समझिए.

Bihar Election: आखिर AIMIM को एक भी सीट क्यों नहीं देना चाहते तेजस्वी? ओवैसी को अब लालू से उम्मीद, समझें समीकरण
असदुद्दीन ओवैसी और तेजस्वी यादव.
  • AIMIM बिहार विधानसभा चुनाव में RJD के साथ गठबंधन करना चाहती है लेकिन तेजस्वी यादव इसके खिलाफ हैं.
  • असदुद्दीन ओवैसी ने 6 सीटों की मांग की है और सीमांचल डेवलपमेंट बोर्ड बनाने की शर्त रखी है.
  • RJD का तर्क है कि बिहार के मुस्लिम वोटरों का प्रतिनिधित्व वो करते हैं. AIMIM के लिए सीटें छोड़ना उचित नहीं है.
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AIMIM in Bihar Elections 2025: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में तेजस्वी यादव, राहुल गांधी के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाह रही है. बीते दिनों AIMIM के बिहार प्रमुख अख्तरूल इमाम ने RJD सुप्रीमो लालू यादव के घर पर ढोल बजाकर भी अपील की थी. लेकिन तेजस्वी यादव हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को एक भी सीट नहीं देना चाहते हैं. बीते दिनों NDTV के साथ हुई खास बातचीत में जब असदुद्दीन ओवैसी से यह सवाल किया गया कि आप बिहार में अकेले लड़ रहे हैं या फिर कोई बातचीत हुई है? तो उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ रहे हैं, अच्छी तरह से लड़ेंगे.

असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि हमारे बिहार प्रमुख अख्तरूल इमाम साहब ने लालू प्रसाद यादव को दो लेटर लिखे. अब एक आखिरी लेटर तेजस्वी यादव को लिखा है. उसमें उन्होंने लिखा है कि भाई, हम 6 सीट लेने को तैयार हैं. अगर आप पावर में आते हैं तो हमें मंत्री मत दीजिए.

ओवैसी ने NDTV के साथ हुई खास बातचीत में यह भी बताया कि हमने सिर्फ सीमांचल डेवलपमेंट बोर्ड बनाने की शर्त रखी है. अब इस से बढ़कर असरारूल इमाम और AIMIM क्या करेगी? हमने लालू यादव के घर ढोल बजाकर भी अपील की. अब हम क्या करें?
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6 से कम सीट पर भी तैयार हो सकती है AIMIM

AIMIM प्रमुख ओवैसी भले ही 6 सीटों की बात कह रहे हैं मगर वे शायद इससे कम पर भी तैयार हो सकते हैं. उन्हें इंतजार है RJD का खासकर लालू यादव के निर्णय का मगर जहां तक तेजस्वी यादव का सवाल है वो अभी तक AIMIM से कोई समझौता के मूड में नहीं दिख रहे हैं. RJD का तर्क साफ है कि बिहार के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व वो करते हैं तो ओवैसी के लिए सीटें क्यों छोड़ी जाए?

RJD का तर्क- हमारे बागी ही AIMIM में गए, अब वापस आ गए

जहां तक पिछली बार AIMIM के सीमांचल में प्रदर्शन और 5 सीटें जीतने की बात है RJD का कहना है कि वो सभी उन्हीं के पार्टी के लोग थे, जिन्हें RJD टिकट नहीं दे पाई थी जिसकी वजह से वो बागी हो गए और ओवैसी के खेमे में चले गए. RJD का यह भी कहना है कि वो सभी विधायक RJD से लंबे समय तक जुड़े हुए थे इसलिए वापस RJD में लौट भी आए. यहां तक बात सही है मगर यह भी सच है कि बिहार का मुसलमान अलग-अलग क्षेत्र में अपनी संख्या को देखकर वोट करता है.
 

जिस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता 10 फीसदी से कम हो, जहां 20 से ज्यादा हो या फिर जहां 30 फीसदी से अधिक है, वहां मुस्लिम मतदाताओं का वोटिंग पैटर्न अलग-अलग देखा गया है.

सीमांचल के 4 जिलों में मुस्लिम वोटरों की संख्या निर्णायक

सीमांचल के 4 जिलों पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया में मुस्लिम आबादी 48 फीसदी है. पूर्णिया में 38 फीसदी, कटिहार में 44, अररिया में 43 और किशनगंज में 68 फीसदी मुस्लिम आबादी है. यही वजह है बिहार के सीमांचल में AIMIM को वोट मिलता है क्योंकि यहां मुस्लिम बहुसंख्यक है. लोकसभा 2024 चुनाव की बात करें तो सीमांचल के 4 लोकसभा सीटों में से दो पर कांग्रेस, एक पर निर्दलीय और एक पर JDU का कब्जा है.

लोकसभा की जीत को विधानसभा में बदलें तो भी AIMIM का दो सीटों पर दावा

यदि 2024 के लोकसभा के आंकड़े को विधानसभा में परिवर्तित करें तो 6 विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस, 2 में RJD, 4 में पप्पू यादव और 2 विधानसभा में AIMIM आगे है. इस लिहाज से AIMIM का कम से कम दो सीटों पर दावा तो बनता ही है. मगर RJD नेतृत्व को लगता है कि एक बार AIMIM को सीमांचल में जगह दी तो आने वाले दिनों में वो बाकी मुस्लिम बहुल इलाकों में भी सीट मांगेंगे जैसे दरभंगा, मधुबनी.



इन्हीं इलाकों में हुए एक उपचुनाव में RJD इसलिए हार गई थी कि AIMIM ने अपना उम्मीदवार दे दिया था. तेजस्वी यादव ओवैसी के साथ गठबंधन की बात पर कहते हैं कि क्या ओवैसी RJD को हैदराबाद में सीट देंगे?

यदि अकेले लड़ी AIMIM तो किसे होगा नुकसान

यदि AIMIM महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनती है और अकेले चुनाव लड़ती है तो कुछ ना कुछ सीटों पर वह नुकसान पहुंचा सकती है. क्योंकि 2020 के विधानसभा में सीमांचल में NDA को 12 सीटें मिली थी, BJP को 8 और JDU को 4. उसी चुनाव में AIMIM को 5 सीटें मिली थी. ये वही सीटें थी जो 2015 में महागठबंधन ने जीती थी.

ओवैसी के साथ से हिंदू-मुस्लिम की राजनीति तेज होगी, इस डर से भी हिचक रहे तेजस्वी

2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी सीमांचल की 24 सीटों में से 10 सीटें NDA जीतने की स्थिति में है. जिसमें 6 पर JDU और 4 पर BJP आगे है. ऐसे में क्या तेजस्वी यादव ओवैसी को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं? ये देखने वाली बात होगी. कई जानकार यह भी मानते हैं कि ओवैसी यदि महागठबंधन के पाले में आते हैं तो बीजेपी बिहार चुनाव को हिंदू-मुस्लिम के पिच पर लाने में कामयाब हो सकती है जो महागठबंधन कभी नहीं चाहेगा.

पशुपति और हेमंत के लिए जगह तो ओवैसी के लिए क्यों नहीं?

हालांकि इस तर्क से सभी सहमत नहीं होते. उनका कहना है कि बाकी उन राज्यों में BJP जीतती है, जहां ओवैसी की पार्टी नहीं लड़ती है. खैर यह बहस तो चलती रहेगी. मगर सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब महागठबंधन में पशुपति पारस और JMM आ सकती है तो पिछले विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने वाली ओवैसी की पार्टी क्यों नहीं? इसका जवाब केवल तेजस्वी ही दे सकते हैं.

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