Tax on Animal Burp: सुनने में अजीब लग सकता है कि गाय और भेड़ की डकार भी दुनिया के लिए खतरनाक हो सकती है और इस पर भी टैक्स लगा दिया गया है. यह बिल्कुल सच है. दुनिया अब गाय, भेड़ और सूअर जैसे जानवरों की डकार और गैसों पर टैक्स लगाने लगी है. डेनमार्क दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसने किसानों पर जानवरों की डकार के लिए टैक्स लगा दिया है. अब सवाल जानवर की डकार का टैक्स से क्या कनेक्शन है, यह इतनी खतरनाक क्यों है और किस देश ने यह टैक्स लगाया है. आइए आसान भाषा में समझते हैं.
जानवर की डकार दुनिया के लिए खतरा क्यों?
गाय और भेड़ जैसे जुगाली करने वाले जानवर जब खाना पचाते हैं, तो उनके पेट में मीथेन बनती है. ये गैस डकार के साथ बाहर आती है. मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड से 80 गुना ज्यादा ताकतवर ग्रीनहाउस गैस है. यानी थोड़ी सी मात्रा भी पृथ्वी को तेजी से गर्म कर देती है. यह गैस ग्लोबल वार्मिंग को तेज करती है, मतलब दुनिया में जलवायु संकट बढ़ा सकती है. दुनिया की 14.5% ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पालतू जानवरों खासकर गाय की भूमिका होती है. भेड़ें, बकरियां और सूअर भी इसमें हिस्सा जोड़ते हैं. यही कारण है कि कई देश इस गैस को कम करने के लिए अब टैक्स जैसे कड़े कदम उठा रहे हैं.
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गाय और भेड़ की डकार पर किस देश ने टैक्स लगाया?
डेनमार्क दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहां पशुओं की डकार पर कार्बन टैक्स लगाया गया है. डेनमार्क में साफ कहा गया है कि जो ज्यादा उत्सर्जन करेगा, वो टैक्स भरेगा. इसमें गाय की डकार, भेड़ की गैस और सूअर से निकलने वाला मीथेन उत्सर्जन शामिल हैं. डेनमार्क 2045 तक क्लाइमेट न्यूट्रल बनना चाहता है. कृषि सेक्टर इसके रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट थी.
न्यूजीलैंड ने भी प्लान बनाया था, लेकिन किसान भड़क गए
न्यूज़ीलैंड भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा था. 2022 में कृषि उत्सर्जन पर टैक्स का प्रस्ताव लाने पर विचार किया गया. इसमें गाय और भेड़ की डकार से निकलने वाली मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड शामिल थी. लेकिन लाखों किसानों ने ट्रैक्टर लेकर सड़कों पर विरोध करना शुरू कर दिया. सरकार ने दबाव में आकर 2024 में योजना को रोक दिया. न्यूजीलैंड में 50 लाख लोग हैं लेकिन वहां गायों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा और करीब 2.6 करोड़ भेड़ें हैं.
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