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Constitution Day: क्यों नाइट्रोजन चैंबर में रखा गया है हाथ से लिखा संविधान? कुछ ऐसी है इसे लिखे जाने की कहानी

Constitution Day: भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. इसकी मूल प्रति को खास तरीके से रखा गया है, जिससे वो कभी भी खराब नहीं हो सकती है.

Constitution Day: क्यों नाइट्रोजन चैंबर में रखा गया है हाथ से लिखा संविधान? कुछ ऐसी है इसे लिखे जाने की कहानी
Constitution Day 2025

Constitution Day 2025: देशभर में 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर तमाम स्कूलों और सरकारी संस्थानों में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित होते हैं. ये वही दिन है, जब भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था और संविधान सभा ने औपचारिक तौर पर इसे अपनाया था. हालांकि यहां तक पहुंचने की कहानी काफी लंबी है और इसमें कई महीनों का वक्त लग गया था. संविधान की मूल प्रति को टाइप नहीं किया गया, बल्कि इसे हाथों की कलाकारी से ही कागज के पन्नों पर उकेरा गया था. आज संविधान की ये मूल प्रति नाइट्रोजन के चैंबर में रखी हुई है. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों है और कैसे हमारा पूरा संविधान लिखा गया था. 

किन भाषाओं में लिखा गया संविधान?

भारत का संविधान हिंदी और अंग्रेजी भाषा में लिखा गया था. मशहूर कैलीग्राफर प्रेम बिहारी नारायण ने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान लिखा था. इसे लिखने में उन्हें करीब 6 महीने लग गए थे. खास इटैलिक शैली में संविधान को लिखा गया था और इसके लिए प्रेम बिहारी ने एक रुपया भी नहीं लिया. हालांकि इसके लिए उन्होंने एक शर्त रखी थी, जिसमें उन्होंने कहा कि संविधान के हर पन्ने के नीचे वो अपना नाम लिखेंगे. पन्नों पर बाकी कलाकारी के लिए आचार्य नंदलाल बोस के नेतृत्व में शांतिनिकेतन के कलाकारों को चुना गया. वसंत कृष्ण वैद्य ने हिंदी में संविधान लिखने का काम किया. 

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कहां रखी गई है संविधान की मूल कॉपी?

संविधान की मूल प्रति का वजन करीब 13 किलो है. इसे संविधान की पांडुलिपि भी कहा जाता है. इसे रखने के लिए चमड़े का एक खास कवर तैयार किया गया, जिसके बाहर सोने की परत से कारीगरी की गई है. संविधान की इस मूल कॉपी को संसद भवन की लाइब्रेरी में रखा गया है. 

पहले हीलियम गैस का हुआ था इस्तेमाल

संविधान की मूल प्रति को संरक्षित करने के लिए कई तरह के प्रयोग हुए. सबसे पहले हीलियम गैस चैंबर वाले बॉक्स को बनाया गया, जिसमें इस प्रति को रखने का फैसला लिया गया. हालांकि हीलियम लीक होने के चलते नवंबर 1992 में अमेरिका की गेट्टी कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट की मदद से नाइट्रोजन चैंबर का आइडिया सामने आया. कुल तीन बॉक्स तैयार किए गए, जिनमें नाइट्रोजन गैस भरी थी. इन बॉक्सेस में संविधान की मूल प्रतियों को संरक्षित कर रखा गया. इस तरह से भारत का हाथ से लिखा हुआ संविधान आज भी उसी तरह से सुरक्षित है, जैसा कि कई दशक पहले था. 

नाइट्रोजन गैस में रखने का कारण

अमेरिका का संविधान भी पहले हीलियम गैस में रखा गया था, क्योंकि हीलियम एक अक्रिय गैस होती है. ऐसे में ये कागज के साथ रिएक्शन नहीं करती और ऑक्सीकरण की प्रक्रिया नहीं होती है. हीलियम नमी को दूर रखने और किसी भी कागज या चीज को सुरक्षित रखने में सक्षम है. हालांकि इसमें लीक के चलते अमेरिका ने भी नाइट्रोजन गैस चैंबर का इस्तेमाल किया, जो हीलियम की तुलना में ज्यादा स्थिर और सस्ती है. 

  • भारतीय संविधान को पूरी तरह से काली स्याही से लिखा गया था, जो ऑक्सीडाइज होकर खराब हो सकती थी. 
  • यही वजह है कि इसे एक एयर टाइट चैंबर में रखा गया है, जिसके अंदर नाइट्रोजन गैस भरी होती है.

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