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कोई और डाल गया है आपके नाम का वोट तो क्या कर सकते हैं? ये है तरीका

Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभ चुनाव के लिए वोटिंग से पहले वोटर्स के मन में कई तरह के सवाल हैं, कुछ ऐसे नियम हैं, जिनके बारे में काफी कम लोग जानते हैं.

कोई और डाल गया है आपके नाम का वोट तो क्या कर सकते हैं? ये है तरीका
वोटिंग का ये वाला नियम जरूर जान लीजिए

Bihar Election: बिहार में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिसे लेकर चुनाव आयोग और तमाम राजनीतिक दलों ने तैयारियां कर ली हैं. फिलहाल उम्मीदवारों का ऐलान किया जा रहा है और जनता से वोट मांगे जा रहे हैं. प्रचार के इस शोर के बीच आम जनता के मन में भी कई तरह के सवाल होते हैं, जिनमें वोटिंग से जुड़े भी कुछ सवाल रहते हैं. आज हम आपको ये बताएंगे कि अगर पोलिंग बूथ पर पहुंचने के बाद आपको ये पता चले कि आपका वोट तो पहले ही पड़ चुका है तो आप ऐसे में क्या सकते हैं. इसे लेकर चुनाव आयोग की तरफ से नियम बनाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल कर आप इस समस्या से निपट सकते हैं. 

चुनाव आयोग ने बनाया है नियम

कई जगह फर्जी तरह से वोट डालने का चलन होता है, ऐसे में हो सकता है कि आपके नाम से कोई वोट डाल दे. कई लोग ऐसा होने पर पोलिंग बूथ से वापस लौट आते हैं, लेकिन आपको ऐसा करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. इसे लेकर चुनाव आयोग की तरफ से व्यवस्था की गई है. 

टेंडर वोट का नियम

चुनाव आयोग की तरफ से ऐसे मामलों के लिए टेंडर वोटिंग का नियम बनाया गया है. अगर किसी ने आपके नाम से फर्जी वोट डाला है तो आप इसे चुनौती दे सकते हैं. इसके लिए आपको साबित करना होगा कि आप ही असली वोटर हैं. चुनाव आयोग के सेक्शन 42 के मुताबिक चुनाव अधिकारियों को इसकी जांच करनी होगी. अगर दावा सही निकलता है तो बैलेट पेपर पर टेंडर वोट डलवाया जाता है. इसे लिफाफे में बंद करने के बाद पीठासीन अधिकारी के पास जमा कराया जाता है. टेंडर वोट की गिनती तब होती है, जब जीत का अंतर इन वोटों की गिनती से कम हो. 

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वोट डालने से रोकने का नियम

चुनाव आयोग का एक नियम वोट चैलेंज का भी ह, यानी इसमें किसी व्यक्ति को वोट डालने से रोका जा सकता है. दरअसल वोटिंग के दौरान मतदान केंद्र पर बैठे एजेंट्स को अगर लगता है कि वोट डालने आया व्यक्ति संदिग्ध है या फिर वो उस क्षेत्र का वोटर ही नहीं है तो ऐसे मामलों में वोट चैलेंज का रूल आता है. इसमें पोलिंग एजेंट चुनाव अधिकारी को दो रुपये की फीस देकर आपत्ति दर्ज करवाता है. इसके बाद पीठासीन अधिकारी इसकी जांच करते हैं. 

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