प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
महज चार घंटे के भीतर जिस तरह से आतंकियों ने मंगलवार को छह जगहों पर हमले किए उससे पूरे सुरक्षा तंत्र में खलबली मच गई है . खासकर यह हमले सुरक्षाबलों को निशाने पर रख कर किए गए हैं और अभी तक एक भी हमलावार का पकड़ में न आना कई सवाल खड़े करता है. उस हालात में जब अमरनाथ यात्रा को शुरू होने में महज दो हफ्ते बचे हैं.
29 जून से शुरू होने वाली यात्रा में जिस तरह से देश भर लाखों लोग आते हैं उससे बदले हालात में व्यवस्थित ढंग से इस यात्रा को पूरा करना एक बड़ी चुनौती साबित होगी .
यही वजह है कि अब पूरी यात्रा को फूल प्रूफ बनाने के लिए अर्द्धसैनिक बलों के साथ सेना ने कमर कस ली है. यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेना नए सिरे से 5000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती करने जा रही है. सेना की पांच बटालियन में से एक इंजीनियर्स, एक सिग्नल,एक प्रादेशिक सेना की यूनिट होगी. एक बटालियन की तैनाती सोनमर्ग बॉलटाल रास्ते पर होगी तो दूसरी की पहलगाम चंदनबाड़ी रास्ते पर. बाकी की तैनाती बटालियन राष्ट्रीय राजमार्ग पर होगी. ये सैनिक रास्ते में ऊंची जगहों पर मौजूद होंगे जहां से वो पूरे रास्ते पर नजर रख सकेंगे .
हालांकि अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी सीआरपीएफ पर ही होगी लेकिन आतंकियों के संभावित खतरे को देखते हुए सेना को ये जिम्मेदारी दी गई है कि अगर ऐसी कोई हरकत होती है तो वो उसे नाकाम करें . यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए दक्षिण कश्मीर के कई हिस्सों में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है. अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि इन अभियानों का मकसद आतंकियों को तलाश करना और मार डालना है. पहले ये होता था कि सुरक्षाबलों का अमरनाथ यात्रा की शुरुआत से पहले आतंकियों को इलाके से भगाने पर जोर होता था लेकिन अब रणनीति में बदलाव आया है.
वैसे अधिकारिक तौर पर 35 हजार अर्द्धसैनिकों को यात्रा के लिए तैनात किया गया है लेकिन इनमें सेना के जवानों की गिनती नहीं है और न ही राज्य पुलिस के जवानों की. अगर सबकी गिनती कर ली जाए तो ये तादाद एक लाख से ऊपर चली जाएगी . बावजूद अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर डर बना हुआ है खासकर जिस तरह से सीमा पार से आतंकियों पर दवाब है कि वो कोई बड़ी वारदात को अंजाम दे. इसके साथ ही सुरक्षा बलों का जरूरत से ज्यादा आतंकियों पर दवाब से आतंकी बौखला गए हैं. एक और डर ये भी है कि 26 जून को ईद ऊल फितर भी है. इस मौके पर कहीं कोई सांप्रदायिक हिंसा न हो इसको भी लेकर सुरक्षा बल सतर्क हैं.
29 जून से शुरू होने वाली यात्रा में जिस तरह से देश भर लाखों लोग आते हैं उससे बदले हालात में व्यवस्थित ढंग से इस यात्रा को पूरा करना एक बड़ी चुनौती साबित होगी .
यही वजह है कि अब पूरी यात्रा को फूल प्रूफ बनाने के लिए अर्द्धसैनिक बलों के साथ सेना ने कमर कस ली है. यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेना नए सिरे से 5000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती करने जा रही है. सेना की पांच बटालियन में से एक इंजीनियर्स, एक सिग्नल,एक प्रादेशिक सेना की यूनिट होगी. एक बटालियन की तैनाती सोनमर्ग बॉलटाल रास्ते पर होगी तो दूसरी की पहलगाम चंदनबाड़ी रास्ते पर. बाकी की तैनाती बटालियन राष्ट्रीय राजमार्ग पर होगी. ये सैनिक रास्ते में ऊंची जगहों पर मौजूद होंगे जहां से वो पूरे रास्ते पर नजर रख सकेंगे .
हालांकि अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी सीआरपीएफ पर ही होगी लेकिन आतंकियों के संभावित खतरे को देखते हुए सेना को ये जिम्मेदारी दी गई है कि अगर ऐसी कोई हरकत होती है तो वो उसे नाकाम करें . यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए दक्षिण कश्मीर के कई हिस्सों में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है. अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि इन अभियानों का मकसद आतंकियों को तलाश करना और मार डालना है. पहले ये होता था कि सुरक्षाबलों का अमरनाथ यात्रा की शुरुआत से पहले आतंकियों को इलाके से भगाने पर जोर होता था लेकिन अब रणनीति में बदलाव आया है.
वैसे अधिकारिक तौर पर 35 हजार अर्द्धसैनिकों को यात्रा के लिए तैनात किया गया है लेकिन इनमें सेना के जवानों की गिनती नहीं है और न ही राज्य पुलिस के जवानों की. अगर सबकी गिनती कर ली जाए तो ये तादाद एक लाख से ऊपर चली जाएगी . बावजूद अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर डर बना हुआ है खासकर जिस तरह से सीमा पार से आतंकियों पर दवाब है कि वो कोई बड़ी वारदात को अंजाम दे. इसके साथ ही सुरक्षा बलों का जरूरत से ज्यादा आतंकियों पर दवाब से आतंकी बौखला गए हैं. एक और डर ये भी है कि 26 जून को ईद ऊल फितर भी है. इस मौके पर कहीं कोई सांप्रदायिक हिंसा न हो इसको भी लेकर सुरक्षा बल सतर्क हैं.
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