प्रतीकात्मक तस्वीर.
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                नई दिल्ली: 
                                        आतंक के साए में जी रहे कश्मीर में कई माताओं ने अपने बेटों से गुहार लगाई है कि वह हथियार छोड़कर वापस अपने घर आ जाए. मां की पुकार सुनकर हथियार थाम आतंकवाद की राह पर चल पड़े दो युवाओं की वापसी ने कइयों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं. यही वजह है कि कश्मीर में आतंकवाद की राह पर जा चुके बेटों और पतियो की घर वापसी के लिए गुहार लगाने का सिलसिला तेज हो चुका है. खासकर सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुपों पर ऐसी मांओं की पुकार के वीडियो का अंबार लगने लगा है. सबको उम्मीद है कि उनके बच्चे घर वापस लौटेंगे. इस आस को सेना, आर्मी और पुलिस की हेल्पलाइन हिम्मत को जरूर बढ़ा रही हैं. 
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चौंगल गांव के रहने वाले सज्जाद अहमद शेख की मां, बहनें और गोद में दो माह के अपने नवजात को लिए उसकी बीवी उससे लौटने की अपील कर रही है. सज्जाद की मां ने रोते हुए कहा कि सज्जाद ने तो हम सभी को जीते जी मार डाला. उसे अपनी बहनों का ख्याल नहीं है तो कम से कम अपने बीमार बाप और नवजात बेटे का ही ख्याल करे. अगर वह घर नहीं आया तो हम भी जहर खाकर जान दे देंगे.
यह भी पढ़ें : घाटी में अशांति के बीच श्रीनगर के पुलिस अधिकारी ने पीओके की लड़की से किया निकाह
खासकर आतंकी बने माजिद के घर लौटने के बाद न सिर्फ इरफान के परिजनों को बल्कि कश्मीर में सक्रिय कई अन्य आतंकियों के परिजनों को भी उम्मीद की एक नई किरण नजर आई है. शरीफाबाद के रहने वाले इरफान की मां की पुकार भी किसी पत्थर को भी पिघलने को मजबूर कर दे. सोशल मीडिया पर उसने हाथ जोड़कर कहा कि अगर माजिद वापस आ सकता है तो फिर मेरा इरफान क्यों नहीं. इरफान से लौटने की गुजारिश करते हुए बस इतना ही कहती है कि मैंने नौ माह तुम्हें अपने कोख में रखा है. अपने खून से पाला है. तुम्हें अपना दूध पिलाकर बड़ा किया. मेरी दूध का वास्ता, बस घर वापस आ जाओ.
VIDEO : अमन के रास्ते घर लौटा आतंकी
कल तक जो लोग आतंकियों के डर से अपने बच्चों से घर लौटने की अपील करने से डरते थे, अब वो खुलकर अपना दर्द बयां कर रहे हैं. इस साल अबतक हथियार छोड़कर चार युवक सरेंडर कर चुके है, लेकिन ये सब आतंकियों के गुट को रास नही आ रहा है. आतंकी गुटों की ओर से ऐलान किया गया है कि अब किसी भी आतंकी युवा को घर लौटने की इजाजत नहीं दी जाएगी क्योंकि उनको डर सता रहा है कि अगर यही हाल रहा तो ज्यादातर युवा आतंक की राह छोड़ सकते हैं. इन सबके बीच सुरक्षाबलों ने भरोसा दिलाया है कि अगर कोई सरेंडर करता है तो उसे हर संभव मदद की जाएगी.
                                                                        
                                    
                                यह भी पढ़ें : आतंकवादी नहीं चाहते कि कश्मीरी युवक आत्मनिर्भर बनें : उमर अब्दुल्ला
चौंगल गांव के रहने वाले सज्जाद अहमद शेख की मां, बहनें और गोद में दो माह के अपने नवजात को लिए उसकी बीवी उससे लौटने की अपील कर रही है. सज्जाद की मां ने रोते हुए कहा कि सज्जाद ने तो हम सभी को जीते जी मार डाला. उसे अपनी बहनों का ख्याल नहीं है तो कम से कम अपने बीमार बाप और नवजात बेटे का ही ख्याल करे. अगर वह घर नहीं आया तो हम भी जहर खाकर जान दे देंगे.
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खासकर आतंकी बने माजिद के घर लौटने के बाद न सिर्फ इरफान के परिजनों को बल्कि कश्मीर में सक्रिय कई अन्य आतंकियों के परिजनों को भी उम्मीद की एक नई किरण नजर आई है. शरीफाबाद के रहने वाले इरफान की मां की पुकार भी किसी पत्थर को भी पिघलने को मजबूर कर दे. सोशल मीडिया पर उसने हाथ जोड़कर कहा कि अगर माजिद वापस आ सकता है तो फिर मेरा इरफान क्यों नहीं. इरफान से लौटने की गुजारिश करते हुए बस इतना ही कहती है कि मैंने नौ माह तुम्हें अपने कोख में रखा है. अपने खून से पाला है. तुम्हें अपना दूध पिलाकर बड़ा किया. मेरी दूध का वास्ता, बस घर वापस आ जाओ.
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कल तक जो लोग आतंकियों के डर से अपने बच्चों से घर लौटने की अपील करने से डरते थे, अब वो खुलकर अपना दर्द बयां कर रहे हैं. इस साल अबतक हथियार छोड़कर चार युवक सरेंडर कर चुके है, लेकिन ये सब आतंकियों के गुट को रास नही आ रहा है. आतंकी गुटों की ओर से ऐलान किया गया है कि अब किसी भी आतंकी युवा को घर लौटने की इजाजत नहीं दी जाएगी क्योंकि उनको डर सता रहा है कि अगर यही हाल रहा तो ज्यादातर युवा आतंक की राह छोड़ सकते हैं. इन सबके बीच सुरक्षाबलों ने भरोसा दिलाया है कि अगर कोई सरेंडर करता है तो उसे हर संभव मदद की जाएगी.
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