
राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' लागू करने के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों, शिक्षाविदों और तमाम वालंटियर्स ने 'संविधान सपोर्ट ग्रुप' के बैनर तले एक कार्यक्रम आयोजित किया. समूह ने बताया कि कार्यक्रम में इस विषय पर चर्चा की गई कि 1952 से 1967 तक देश में यही प्रणाली लागू थी, तो अब यह क्यों नहीं हो सकता.
'संविधान सपोर्ट ग्रुप' के सदस्यों का कहना है कि यह मुहिम का दूसरा चरण है, और इसे शुरू करने से पहले देशभर के विभिन्न क्षेत्रों में सर्वे किया गया है. करीब 300 सांसदों से बातचीत की गई है, जिनमें कुछ विपक्षी सांसद भी इस पहल के पक्ष में हैं.
समूह ने घोषणा की कि 24-25 मार्च को दिल्ली के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जागरुकता कार्यक्रम होंगे, जिसमें देशभर के युवा और छात्र भाग लेंगे. इसके बाद 26 मार्च को जंतर-मंतर पर एक हजार से अधिक युवक अपनी आवाज उठाने के लिए अनशन पर बैठेंगे. इसके बाद 27 मार्च को अंबेडकर मूर्ति से संसद तक एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के वकील और 'संविधान सपोर्ट ग्रुप' के वालंटियर हर्ष दाहिया ने कहा, "हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की आवश्यकता सरकार और विपक्ष तक पहुंचे. हम चाहते हैं कि युवा इस मुद्दे पर आवाज़ उठाएं और यह संदेश संसद तक पहुंचे. हमारा उद्देश्य यह है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से देश का युवा यह स्पष्ट कर सके कि वह 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के पक्ष में है."
समूह के एक और वालंटियर देवेंद्र भारद्वाज ने कहा, "हम जानते हैं कि देश में बड़े बदलावों का नेतृत्व युवाओं ने किया है. इस मुहिम का उद्देश्य यह है कि 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के तहत चुनाव प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाया जाए. हम सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करते हैं कि वे युवाओं की इस मांग को समझें और इसे लागू करने की प्रक्रिया पर काम करें."
एक महिला वालंटियर ने कहा, "हम प्रधानमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचाने का प्रयास करेंगे और उन्हें ज्ञापन सौंपेंगे, जो हमारे देश के युवाओं की सामूहिक इच्छा का प्रतीक होगा. हम चाहते हैं कि वे इस दिशा में कदम बढ़ाएं और 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को जल्द से जल्द लागू करें."
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