पश्चिम बंगाल बीजेपी (BJP) के पूर्व प्रमुख दिलीप घोष (Dilip Ghosh) को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय से एक पत्र मिला है, जिसमें उनके उन बयानों का जिक्र किया गया है, जिस कारण पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को "शर्मिंदगी" हुई है. दरअसल, बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने अप्रैल में बंगाल बीजेपी के नेता सुकांता मजूमदार (Sukanta Majumdar) की आलोचना की थी. ये आलोचना तब सामने आई थी, जब पार्टी पिछले साल राज्य में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की तृणमूल कांग्रेस से चुनाव हार गई थी.
"सुकांता मजूमदार कम अनुभवी हैं"
घोष ने पत्रकारों से कहा था, "सुकांता मजूमदार कम अनुभवी हैं. पार्टी लंबे समय से अस्तित्व में है. ऐसे में कई अनुभवी दिग्गज हैं, जिन्हें राज्य में मोर्चा संभालने के लिए खड़ा किया जाना चाहिए." उनके इसी बयान पर एक्शन लेते हुए पार्टी नेतृत्व ने उन्हें पत्र भेजा है. बीजेपी मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह (Arun Singh) द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में पार्टी ने बंगाल के नेता को याद दिलाया कि उन्हें बीते दिनों भी विवादास्पद टिप्पणी करने से बचने के लिए कहा गया था, “इस आशा में कि वे इस ओर पहल करेंगे."
पार्टी ने घोष को लिखे पत्र में कहा, "हालिया साक्षात्कार में, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और शायद अन्य मंचों पर आपकी टिप्पणियों ने राज्य के वरिष्ठ पदाधिकारियों की खुले तौर पर आलोचना की है. इस तरह की टिप्पणियां केवल पार्टी को नुकसान पहुंचाएंगी. साथ ही पार्टी के लिए आपके द्वारा किए गए कामों को भी नकार देंगी." पत्र में कहा गया है, " पार्टी के प्रति आपकी प्रतिबद्धता निरपेक्ष रही है, लेकिन कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जब आपके कुछ बयानों या नाराजगी ने राज्य के पार्टी नेताओं को नाराज किया है और केंद्रीय नेतृत्व को भी शर्मसार किया है."
बीजेपी मुख्यालय प्रभारी ने पत्र में कहा, "बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व मीडिया के माध्यम से इस तरह के बयान जारी करने से बहुत चिंतित है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर, मैं आपको पार्टी की गहरी पीड़ा से अवगत कराना चाहता हूं. मुझे पूरी उम्मीद है कि आप स्थिति की संवेदनशीलता को समझेंगे और खासकर पश्चिम बंगाल, मीडिया या किसी भी सार्वजनिक मंच पर अपने व्यवहार को लेकर हमेशा अधिक विवेकशील रहेंगे."
पार्टी का प्रदर्शन नहीं रहा था अच्छा
बता दें कि बीजेपी ने 2021 की शुरुआत में बंगाल विधानसभा चुनावों में कम से कम 200 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था. हालांकि, पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, और चुनाव से पहले ममता बनर्जी की पार्टी से बीजेपी में आए कई नेता आखिरकार तृणमूल कांग्रेस में लौट आए.
यह भी पढ़ें -
पिछले तीन साल में मई के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता सबसे खराब दर्ज की गई
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किये जाने की मांग
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं