सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि (Patanjali) के संस्थापकों रामदेव (Ramdev) और बालकृष्ण द्वारा दायर नया माफीनामा खारिज कर दिया है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्ला की पीठ ने इस मामले में केंद्र के रवैये पर असंतोष भी जताया. कोर्ट ने कंपनी के संस्थापकों के साथ "हाथ मिलाकर" चलने के लिए राज्य के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई.
पतंजलि मामले में सुप्रीम कोर्ट की कुछ प्रमुख टिप्पणियां इस प्रकार हैं -
कोर्ट ने प्राधिकरण से कहा- उत्तराखंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी सिर्फ फाइलों को आगे बढ़ा रही थी और कुछ नहीं कर रही थी. राज्य के अधिकारी अवमानना करने वालों के साथ मिले हुए हैं.
- आप लोगों का जीवन बचाने के मामलों को देखते हैं और आप लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं.
- जब लोगों के पास यह दवाइयां थीं और उन्हें बेवकूफ बनाया जा रहा था तो आपने क्या किया?
- चार-पांच साल में स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी गहरी नींद में थी...आप पोस्ट ऑफिस की तरह काम कर रहे हैं.
- हमें यह क्यों नहीं सोचना चाहिए कि आप कथित अवमाननाकर्ताओं से मिले हुए हैं? आप जानबूझकर अपनी आंखें बंद रखे हुए हैं.
- हमें अधिकारियों के लिए 'बोनाफाइड' शब्द के इस्तेमाल पर सख्त आपत्ति है. हम हल्के में नहीं लेंगे. हम आपको अलग कर देंगे.
- माफी किसी कागज के लायक नहीं है, जो लिखकर दे दी गई है.
- माफी मांगना पर्याप्त नहीं है. आपको अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का परिणाम भुगतना होगा. हम इस मामले में उदार नहीं बनना चाहते.
- एक आदमी दया चाहता है, उन अनगिनत निर्दोष लोगों का क्या जिन्होंने दवा ली?
- पतंजलि के एमडी और रामदेव ने विदेश यात्रा के झूठे दावे करके अदालत के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति होने से बचने की कोशिश की.
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