उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में पराली जलाने से बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति किसानों को जागरूक किया जाए. फसल अवशेषों को काटकर खेत में पानी लगाकर एवं यूरिया छिड़ककर खेत में ही पराली को गलाने का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि संवेदनशील गांवों में जिला स्तरीय अधिकारियों को कैम्प लगाकर पराली जलाने की घटनाओं पर रोकथाम के उपाय किए जाएं. विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को ग्रामवार समन्वय स्थापित करने के लिए ड्यूटी लगायी जाएं.
इस अवसर पर अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रदेश में कुछ ऐसे भी जिले हैं, जहां पराली जलाने की घटनाएं शून्य के बराबर है. इनमें वाराणसी, सोनभद्र, सन्त रविदास नगर, महौबा, कासगंज, जालौन, हमीरपुर, गोण्डा, चन्दौली, बाँदा, बदायूं, आजमगढ़, अमरोहा और आगरा शामिल हैं. इसके अलावा सुझाव दिया गया है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में धान की कटाई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की कटाई शुरु हो गई है. इन जिलों में विशेष तौर पर ध्यान देने की जरुरत है. हर जिले में पूसा डीकम्पोजर तत्काल किसानों के माध्यम से वितरण कराया जाए, जिससे फसल अवशेषों को खेत में ही संड़ाकर प्रबन्धन किया जा सके.
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