
यमुना नदी अपने प्रदूषण के चलते सुर्खियों में बनी रहती है लेकिन अब आने वाले कुछ सालों में इसकी तस्वीर बदल जाएगी. केंद्र सरकार ने अगले तीन साल में इस नदी को साफ करने का लक्ष्य तय किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद यह लक्ष्य तय किया है. नदी की शीर्ष स्तर पर मॉनीटरिंग हो रही है. पीएम मोदी ने गृह मंत्री और जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल के साथ इस मामले पर एक मीटिंग भी की है. पीएम का लक्ष्य अगले डेढ़ साल में यमुना का पानी नहाने लायक और उसके अगले डेढ़ साल में नदी के पानी को पीने लायक बनाना है.
कैसे हो रही है यमुना की सफाई
इन दिनों यमुना की सफाई का तीसरा चरण जारी है. जलकुंभी की सफाई की जा रही है और मशीनों से इन्हें हटाया जा रहा है. हर दिन नौ घंटे यमुना से जलकुंभी हटाने का काम चल रहा है. जबकि वजीराबाद पुल, सोनिया विहार जैसे इलाकों में इन्हें नदी से हटा दिया गया है. जलकुंभी हटाने के लिए 45 दिनों का टारगेट तय किया गया था.
अगले 25 दिनों में पूरी तरह से जलकुंभी हटा ली जाएगी. इसके बाद नदी से गाद निकालने का काम शुरू होगा. इसके बाद नदी की ड्रेजिंग होगी ताकि नदी में पानी का बहाव बनाए रखने में मदद मिलेगी.
नालों की सफाई
यमुना में गिरने वाले नालों के पानी की सफाई के लिए एसटीपी बनाए जाएंगे. एसटीपी के लिए टेंडर जारी होने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. इसके जरिए नालों के गंदे पानी को यमुना में गिरने से पहले साफ किया जाएगा और उसका ट्रीटमेंट किया जाएगा. फिर हानिकारक रसायन और गंदगी को अलग किया जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया के लिए 500 वॉलंटियरों की भर्ती होगी. वो यमुना के किनारे खड़े होकर लोगों को जागरुक करेंगे और उन्हें यमुना में गंदगी और पूजा सामग्री डालने से रोकेंगे.
शीर्ष स्तर पर निगरानी
यमुना की सफाई का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है और सरकार में शीर्ष स्तर पर इसकी निगरानी हो रही है. पूरा काम मिशन मोड में काम हो रहा है. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वय किया जा रहा है. जलशक्ति मंत्री सी आर पाटिल के हाथों में जहां नदी की सफाई की कमान है तो वहीं गृह मंत्री अमित शाह पूरे प्रोजेक्ट पर सीधी नजर रख रहे हैं.
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