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This Article is From Sep 03, 2018

WWF ने गंगा को बताया दुनिया की सबसे संकटग्रस्त नदी, सरकार के लिए झटका

वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने गंगा को दुनिया की सबसे संकटग्रस्त नदी करार दिया है.

WWF ने गंगा को बताया दुनिया की सबसे संकटग्रस्त नदी, सरकार के लिए झटका
गंगा की फाइल फोटो.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
WWF ने कहा- गंगा दुनिया की सबसे संकटग्रस्त नदी
अंतरराष्ट्रीय एनजीओ की रिपोर्ट चौंकाने वाली
सरकार की नमामि गंगा योजना पर उठे सवाल
नई दिल्ली:  अंतरराष्ट्रीय स्तर के एनजीओ वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने गंगा को दुनिया की सबसे संकटग्रस्त नदी करार दिया है.इसके पीछे तर्क देते हुए संस्था ने कहा है कि गंगा विश्व की सबसे अधिक संकटग्रस्त नदी इसलिए है, क्योंकि लगभग सभी दूसरी भारतीय नदियों की तरह गंगा में भी लगातार पहले बाढ़ और फिर सूखे की स्थिति पैदा हो रही है. इस अंतरराष्ट्रीय संस्था का गंगा को लेकर जारी यह बयान उन तमाम सरकारी योजनाओं पर सवाल खड़े करता है, जिनके जरिए गंगा की बेहतरी का वादा किया जाता है.
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न्यूज एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक देश की सबसे प्राचीन और लंबी नदी गंगा उत्तराखंड के कुमायूं में हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है. गंगा के इस उद्गम स्थल की ऊंचाई समुद्र तल से 3140 मीटर है. उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक गंगा विशाल भू-भाग को सींचती है. गंगा भारत में 2,071 किमी और उसके बाद बांग्लादेश में अपनी सहायक नदियों के साथ 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है.

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गंगा नदी के रास्ते में पड़ने वाले राज्यों में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियों में यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, कोसी और काक्षी हैं जबकि दक्षिण के पठार से आकर मिलने वाली प्रमुख नदियों में चंबल, सोन, बेतवा, केन, दक्षिणी टोस आदि शामिल हैं. 

यमुना गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है, जो हिमालय की बन्दरपूंछ चोटी के यमुनोत्री हिमखण्ड से निकलती है.गंगा उत्तराखंड में 110 किमी , उत्तर प्रदेश में 1,450 किलोमीटर , बिहार में 445 किमी और पश्चिम बंगाल में 520 किमी का सफर तय करते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलती है.गंगा पांच देशों के 11 राज्यों में 40 से 50 करोड़ से अधिक लोगों का भरण-पोषण करती है. भारत में गंगा क्षेत्र में 565,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर खेती की जाती है, जोकि भारत के कुल कृषि क्षेत्र का लगभग एक तिहाई है. 

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हमारे ग्रंथों में गंगा का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। ग्रंथों के मुताबिक, गंगा का अर्थ है, बहना। गंगा भारत की पहचान है और देश के आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों को पिरोने वाली एक मूलभूत डोर भी है.

देश के सबसे पवित्र स्थानों में शुमार ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयाग और काशी, गंगा के तट पर स्थित हैं. इसके अलावा केदारनाथ, बद्रीनाथ और गोमुख गंगा और उसकी उपनदियों के किनारे स्थित तीर्थ स्थानों में से एक हैं। जिन चार स्थानों पर कुंभ मेला लगता है, उनमें से दो शहर हरिद्वार और प्रयाग गंगा तट पर स्थित हैं.

जहां तक प्रदूषण की बात है तो गंगा ऋषिकेश से ही प्रदूषित हो रही है. गंगा किनारे लगातार बसायी जा रही बस्तियों चन्द्रभागा, मायाकुंड, शीशम झाड़ी में शौचालय तक नहीं हैं. इसलिए यह गंदगी भी गंगा में मिल रही है। कानपुर की ओर 400 किमी उलटा जाने पर गंगा की दशा सबसे दयनीय दिखती है। इस शहर के साथ गंगा का गतिशील संबंध अब बमुश्किल ही रह गया है. 

ऋषिकेश से लेकर कोलकाता तक गंगा के किनारे परमाणु बिजलीघर से लेकर रासायनिक खाद तक के कारखाने लगे हैं जिसके कारण गंगा लगातार प्रदूषित हो रही है.

भारत में नदियों का ग्रंथों, धार्मिक कथाओं में विशेष स्थान रहा है. आधुनिक भारत में नदियों को उतना ही महत्व दिया जाता है और लाखों श्रद्धालु त्योहारों पर इन पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं लेकिन वर्तमान हालात में नदियों के घटते जलस्तर और प्रदूषण ने पर्यावरणविदों और चिंतकों के माथे पर लकीरें ला दी हैं.

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