विश्व बैंक ने आंध्र प्रदेश सरकार को झटका देते हुए अमरावती परियोजना (Amravati Project) से अपने हाथ खींच लिए हैं. विश्व बैंक (World Bank) की आधिकारिक वेबसाइट पर इस परियोजना का दर्जा ड्रॉप्ड दिखाई दे रहा है, लेकिन बैंक ने इसका कोई कारण नहीं बताया. विश्व बैंक के अधिकारियों ने इस मामले में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया. सूत्रों के अनुसार विश्व बैंक ने राजधानी के विकास के लिए पिछली सरकार द्वारा क्षेत्र में किसानों की उपजाऊ जमीन पर कथित रूप से जबरन कब्जा किए जाने संबंधी शिकायतों को ध्यान में रखा. प्रस्तावित लोन की राशि 300 मिलियन डॉलर(2 हजार करोड़ रुपए) थी. मिली रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने कथित तौर पर आवेदन वापस ले लिया.
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विश्व बैंक के प्रवक्ता सुदीप मजूमदार ने एनडीटीवी से कहा, 'विश्व बैंक बोर्ड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने जानकारी दी है कि प्रस्तावित परियोजना के लिए अब सरकार के फैसले के बाद तैयारी नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा, 'परियोजना केवल तैयार की जा रही थी. यह प्रारंभिक अवस्था में थी.' लेकिन सरकार ने आवेदन को निरस्त करने का फैसला क्यों लिया, इस सवाल पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. विश्व बैंक ने कथित तौर पर भूमि अधिग्रहण जैसी अनियमितताओं की शिकायतों की स्वतंत्र जांच कराने के लिए केंद्र से अनुमति मांगी थी. लेकिन सरकार कथित तौर पर इसकी अनुमति नहीं देना चाहती थी और इसके बजाय उसने अपना आवेदन वापस ले लिया.
नई वाईएसआर कांग्रेस सरकार हालांकि इसे एक झटके के रूप में नहीं देखती है क्योंकि वे कहते हैं कि उनके पास ऋण के लिए नए सिरे से आवेदन करने का विकल्प है. राज्यसभा सदस्य और दिल्ली में सरकार के विशेष प्रतिनिधि, विजयसाई रेड्डी ने एनडीटीवी से कहा कि कोई भी संप्रभु देश एक विदेशी एजेंसी द्वारा जांच नहीं चाहेगा.
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रेड्डी ने कहा, 'यदि हम इसे आवश्यक समझते हैं, तो हम खुद एक उचित प्राधिकारी द्वारा जांच का आदेश देंगे, क्योंकि हम यह भी मानते हैं कि इसमें बड़ी अनियमितताएं थीं. लेकिन हम ऐसा करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी नहीं चाहते हैं.' जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए भी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही है. पिछले महीने नए मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, श्री रेड्डी ने एक कैबिनेट उप-समिति को जांच का संचालन करने और 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट देने का आदेश दिया. (इनपुट:भाषा)
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