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This Article is From Aug 16, 2023

अदालतों के फैसलों में "रखैल" या "कर्तव्यनिष्ठ पत्नी" जैसे शब्द नहीं चलेंगे : सुप्रीम कोर्ट की नई हैंडबुक

सुप्रीम कोर्ट के चीफ डीवाई चंद्रचूड़ ने 'हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स' लॉन्च की, अदालती फैसलों में अनजाने में रूढ़िवादी शब्दों का उपयोग करके लैंगिक पूर्वाग्रहों को बढ़ावा देने के खिलाफ जजों को संवेदनशील बनाने के लिए उठाया गया कदम

अदालतों के फैसलों में "रखैल" या "कर्तव्यनिष्ठ पत्नी" जैसे शब्द नहीं चलेंगे : सुप्रीम कोर्ट की नई हैंडबुक
हैंडबुक को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है.
नई दिल्ली:

वेश्या, पतुरिया, रखैल, मालकिन, फूहड़ जैसे 40 शब्दों के इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लाल झंडी दिखा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नई हैंडबुक में अदालती फैसलों में अनजाने में रूढ़िवादी शब्दों का उपयोग करके लैंगिक पूर्वाग्रहों को बढ़ावा देने के खिलाफ जजों को संवेदनशील बनाने के लिए कदम उठाया है.

चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने आज सुबह 'हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स' लॉन्च  की. पहले अदालती फैसलों में इस्तेमाल किए गए रूढ़िवादी शब्दों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "ये शब्द अनुचित हैं और अदालती फैसलों में महिलाओं के लिए इस्तेमाल किए गए हैं. इस हैंडबुक का उद्देश्य फैसलों की आलोचना करना या उन पर संदेह करना नहीं है, इसका उद्देश्य सिर्फ यह रेखांकित करना है कि अनजाने में लैंगिक रूढ़िवादिता कैसे बनी रहती है."

हैंडबुक में यह समझाते हुए कि न्यायिक फैसले लेने को रूढ़िवादिता कैसे प्रभावित कर सकते है, कहा गया है, "किसी भी व्यक्ति की तरह एक न्यायाधीश भी अनजाने में रूढ़िवादी धारणाओं को पकड़कर रख सकता है, या उन पर भरोसा कर सकता है. यदि कोई जज मामलों में फैसला करते समय या निर्णय लिखते समय लोगों या समूहों के बारे में पूर्वकल्पित धारणाओं पर भरोसा करता है तो इसके कारण बहुत बड़ा नुकसान होता हो सकता है."

इसमें कहा गया है, "यहां तक कि जब जज कानूनी रूप से सही नतीजों पर पहुंचते हैं तब भी लैंगिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देने वाले तर्क या भाषा का उपयोग अदालत के समक्ष व्यक्तियों की खास विशेषताओं, स्वायत्तता और गरिमा को कमजोर करता है." इसमें कहा गया है कि, ''रूढ़िवादिता को मजबूत करने और कायम रखने का प्रभाव अन्याय का एक दुष्चक्र बनाता है."

कई रूढ़िवादी शब्दों और उनके विकल्पों को सूचीबद्ध करते हुए हैंडबुक में कहा गया है कि अदालती फैसलों में "फगोट", "पतित महिला" या "वेश्या" जैसे शब्दों को हटा दिया जाना चाहिए. इसमें कहा गया है, इसके बजाय जजों को संबंधित व्यक्ति के यौन रुझान का सटीक वर्णन करना चाहिए - समलैंगिक या उभयलिंगी, "महिला" शब्द का उपयोग करें और "पतित महिला" और "वेश्या" जैसे शब्दों से बचें.

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Source: Supreme Court of India website

हैंडबुक में कहा गया है कि इसी तरह, "कर्तव्यनिष्ठ पत्नी" और "आज्ञाकारी पत्नी" जैसे शब्दों से बचना चाहिए. यौन उत्पीड़न या बलात्कार के मामलों में "बर्बाद" जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने के लिए भी हैंडबुक में चेतावनी दी गई है.

हैंडबुक में महिलाओं से जुड़ी कई रूढ़ियों का भी खुलासा किया गया है, जैसे महिलाएं अत्यधिक भावुक और अनिर्णायक होती हैं, अविवाहित महिलाएं निर्णय लेने में असमर्थ होती हैं और सभी महिलाएं बच्चे पैदा करना चाहती हैं.

हैंडबुक में कहा गया है, "इस शब्दावली का उद्देश्य भारतीय न्यायपालिका को अपने निर्णयों में महिलाओं के खिलाफ रूढ़िवाद व रूढ़िवादी भाषा की पहचान करने और इसे कम करने में मदद करना है." हैंडबुक को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है.

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