तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने रविवार को राज्य को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) से छूट दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करने का वादा किया तो अन्नाद्रमुक के महासचिव के पलानीस्वामी ने कहा कि नीट तत्कालीन संप्रग सरकार के दौरान अस्तित्व में आया था. चिर-प्रतिद्वंद्वियों द्रमुक और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के बीच नीट को लेकर तलवारें खिंच गईं और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ दल ने अन्नाद्रमुक को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की चुनौती दी.
इसके जवाब में विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने कहा कि परीक्षा कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (United Progressive Alliance) शासन के दौरान अस्तित्व में आई थी. द्रमुक संप्रग का एक प्रमुख घटक था. अन्नाद्रमुक के महासचिव के पलानीस्वामी ने कहा कि नीट 2010 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की अधिसूचना के बाद अस्तित्व में आया और उस वक्त केन्द्र में संप्रग सरकार थी.
स्टालिन ने कहा कि उनकी पार्टी तब तक नहीं रुकेगी जब तक तमिलनाडु को मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए नीट से छूट नहीं मिल जाती. स्टालिन ने कहा कि अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया) को विजय मिलती है तो तमिलनाडु में नीट का अस्तित्व नहीं रहेगा. मुख्यमंत्री के बेटे एवं कैबिनेट मंत्री उदयनिधि ने परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर पार्टी की राज्यव्यापी भूख हड़ताल का नेतृत्व किया.
सत्तारूढ़ दल की भूख हड़ताल मदुरै को छोड़कर पूरे राज्य में आयोजित की गई. मदुरै में आज अन्नाद्रमुक ने एक विशाल सम्मेलन आयोजित किया था. मंदिरों के शहर में नीट को लेकर द्रमुक की हड़ताल 23 अगस्त को होगी.
रविवार को हड़ताल का नेतृत्व द्रमुक की युवा शाखा, छात्र शाखा और चिकित्सक शाखा ने किया.
वहीं, विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नीट का ‘‘राजनीतिकरण'' करने के लिए राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना की.
उदयनिधि ने कहा कि पार्टी आज के आंदोलन तक ही सीमित नहीं रहेगी और वह इस मुद्दे पर दिल्ली में भी विरोध प्रदर्शन करेगी.
स्टालिन ने तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि पर उनकी हाल में की गई उस टिप्पणी के लिए निशाना साधा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह राज्य के नीट विरोधी विधेयक पर कभी हस्ताक्षर नहीं करेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मामला अब राष्ट्रपति के पास है और राज्यपाल का काम केवल ‘‘डाकिये'' का है, जिन्हें राज्य विधानसभा द्वारा पारित मामलों को राष्ट्रपति भवन भेजना पड़ता है.
द्रमुक की युवा इकाई के प्रमुख उदयनिधि के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कैबिनेट मंत्रियों दुरईमुरुगन, एम. सुब्रमण्यम और पी. के. शेखर बाबू, पार्टी के सांसद, विधायक और चेन्नई की महापौर प्रिया आर ने भी यहां वल्लूवर कोट्टम में प्रदर्शन में भाग लिया.
द्रमुक नीट का विरोध करती रही है और उसका कहना है कि यह सामाजिक न्याय के खिलाफ है.
नीट के कारण कथित रुप से आत्महत्या करने वाले अभ्यर्थियों की तस्वीर यहां मंच पर लगाई गई और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की गई. पिछले सप्ताह एक अभ्यर्थी की कथित आत्महत्या के मद्देनजर इस केंद्रीय प्रवेश परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर पूरे राज्य में भूख हड़ताल का आह्वान किया गया है.
एक शादी समारोह में अपने संबोधन में स्टालिन ने दोहराया कि उनकी पार्टी नीट लागू होने के बाद से ही उसका विरोध कर रही है. उन्होंने याद दिलाया कि पहले मेडिकल के पाठ्यक्रम में दाखिला कक्षा 12 के अंकों के आधार पर होता था और इससे छात्रों को उनकी सामुदायिक स्थिति से परे इसका लाभ मिलता था.
उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार के दौरान विधानसभा द्वारा पारित विधेयक लौटा दिया गया था और तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी ने इसका खुलासा नहीं किया था, इसके बाद विधेयक समाप्त हो गया था.
स्टालिन ने कहा कि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले उनकी पार्टी ने नीट पर प्रतिबंध के लिए पूरे दिल से प्रयास करने का वादा किया था.
द्रमुक के सत्ता में आने के बाद तमिलनाडु को नीट से छूट देने की मांग करने वाले विधेयक को विधानसभा में दो बार पारित किया गया और काफी संघर्ष के बाद अंततः इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा गया.
उन्होंने राज्यपाल की हाल की टिप्पणियों के संदर्भ में कहा, ‘‘राष्ट्रपति को केंद्र की सलाह पर विधेयक पर फैसला करना चाहिए. केवल राष्ट्रपति के पास शक्ति है न कि राज्यपाल के पास, उनका काम केवल डाकिये का है, जो हमने भेजा है, उन्हें वह भेजना पड़ेगा.''
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह संघर्ष जारी रहेगा, नीट में छूट मिलने तक द्रमुक नहीं रुकेगी. भले ही सत्ता में रहे या न रहे, यह आंदोलन लोगों के लिए काम करता रहेगा.''
स्टालिन ने अन्नाद्रमुक से कहा, ‘‘तमिलनाडु में हम दोनों ने आश्वासन दिया है. प्रिय पलानीस्वामी (अन्नाद्रमुक प्रमुख), मैं आपसे विनती करता हूं...अपनी पार्टी के युवा शाखा के सचिव या किसी को भेजिए. हम भी आएंगे. आइए हम सभी विरोध में प्रधानमंत्री के आवास के बाहर बैठें. यदि उसके बाद नीट परीक्षा रद्द हो जाती है, तो इसका सारा श्रेय आप लेंगे. क्या आप इसके लिए तैयार हैं?'' द्रमुक और अन्नाद्रमुक दोनों ही राज्य में नीट का विरोध कर रहे हैं.
उदयनिधि ने इस मुद्दे पर अन्नाद्रमुक और तमिलनाडु के राज्यपाल रवि दोनों पर निशाना साधा. उन्होंने प्रतिद्वंद्वी अन्नाद्रमुक को रविवार को जारी मदुरै सम्मेलन में नीट विरोधी प्रस्ताव अपनाने की भी चुनौती दी.
उदयनिधि ने कहा कि नीट के खिलाफ संघर्ष आज के विरोध प्रदर्शन के साथ समाप्त नहीं होगा. उन्होंने कहा कि स्टालिन की अनुमति से राष्ट्रीय राजधानी में भी आंदोलन किया जाएगा.
नीट के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आज की भूख हड़ताल में शामिल होने के कारण उन्हें अपना मंत्री पद खोना पड़ा तो भी उन्हें कोई चिंता नहीं है.
यहां प्रदर्शन स्थल पर दुरईमुरुगन ने कहा कि बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद केंद्र सरकार नीट के खिलाफ तमिलनाडु के आग्रह को स्वीकार नहीं कर रही है.
इस बीच, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने सत्तारूढ़ द्रमुक पर नीट का ‘‘राजनीतिकरण'' करने का आरोप लगाया.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘नीट कोई मुद्दा नहीं है लेकिन द्रमुक ने इसे एक भावुक मसले में बदल दिया है जिसके कारण अब छात्र आत्महत्या कर रहे हैं.''
उन्होंने कहा कि देश में किसी अन्य राज्य में इस तरह से लोगों की मौत नहीं हुई.
अन्नामलाई ने पत्रकारों से कहा, ‘‘वे (द्रमुक) इस पर राजनीति कर रहे हैं.''
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